राजस्थान के कृषकों की समस्याओं पर उदयपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ विमर्श
7 मई 2023, उदयपुर । राजस्थान के कृषकों की समस्याओं पर उदयपुर कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ विमर्श – क्षेत्रीय अनुसंधान एवं प्रसार सलाहकार समिति संभाग चतुर्थ-अ की बैठक गत दिनों कृषि अनुसंधान केन्द्र, अनुसंधान निदेशालय, उदयपुर में आयोजित की गई।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के निदेशक अनुसंधान डॉ. अरविन्द वर्मा ने बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषकों की समस्याओं को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के साथ विचार-विमर्श करने तथा इन समस्याओं पर अनुसंधान कर पुन: कृषि विभाग के द्वारा किसानों को जानकारी देने में इस बैठक का महत्वपूर्ण योगदान है। डॉ. वर्मा ने बताया कि हरित क्रांति के बाद कृषि तकनीकों के क्षेत्र में खासतौर पर बीज, मशीन तथा रिमोट संचालित तकनीकों में व्यापक बदलाव आया है। उन्होंने बताया कि पिछले दशक में तकनीकी हस्तांतरण अंतराल ज्यादा था, लेकिन अब किसान ज्यादा जागरूक होने से तकनीकी हस्तांतरण ज्यादा गति से हो रहा है। उन्होंने बताया कि नई तकनीकों से खेती में टिकाऊपन लाया जा सकता है।
डॉ. पी. के. सिंह, अधिष्ठाता, अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय ने कहा कि वैज्ञानिकों को किसानों की समस्याओं के आधार पर अनुसंधान करना चाहिये ताकि किसानों को अधिक से अधिक फायदा मिल सकें। साथ ही उन्होनें जोर दिया कि प्रथम पंक्ति प्रदर्शन में कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे कृषि मशीनीकरण के लिए प्रौद्योगिकी के उचित हस्तांतरण में मदद मिलेगी। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों और सरकारी अधिकारियों के बेहतर समन्वय और निगरानी के लिए जोर दिया। डॉ. आर. ए. कौशिक, निदेशक, प्रसार शिक्षा ने बताया कि खेती में महिलाओं की अहम् भूमिका है। कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा स्वयं सहायता समूह तथा किसान समूहों को बढ़ावा देकर और तकनीकी प्रशिक्षण आयोजित कर तकनीकी प्रसार पर जोर दिया जा रहा है।
क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ. अमित त्रिवेदी ने बैठक को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय में चल रही विभिन्न परियोजनाओं की जानकारी दी तथा कृषि संभाग चतुर्थ अ की कृषि जलवायु परिस्थितियों तथा नई अनुसंधान तकनीकों के बारे में प्रकाश डाला। अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग, भीलवाड़ा डॉ. राम अवतार शर्मा तथा संयुक्त निदेशक उद्यान, भीलवाड़ा एवं संयुक्त निदेशक कृषि, भीलवाड़ा, संयुक्त निदेशक कृषि चित्तौडगढ़, राजसमन्द एवं अन्य अधिकारी एवं एमपीयूएटी के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
बैठक के प्रारम्भ में डॉ. राम अवतार शर्मा, अतिरिक्त निदेशक कृषि विभाग, भीलवाड़ा ने गत खरीफ में वर्षा का वितरण, बोई गई विभिन्न फसलों के क्षेत्र एवं उनकी उत्पादकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होनें संभाग में विभिन्न फसलों में खरीफ 2022 के दौरान आयी समस्याओं को प्रस्तुत किया तथा अनुरोध किया कि वैज्ञानिकगण इनके समाधान हेतु उपाय सुझायें।
बैठक को डॉ. महेश कोठारी, निदेशक, आयोजना एवं परिवेक्षण निदेशालय, डॉ. मनोज कुमार महला, निदेशक, छात्र कल्याण अधिकारी, डॉ. बी.एल. बाहेती, निदेशक, आवसीय एवं निर्देशन एवं डॉ. बी. के. शर्मा, अधिष्ठाता, मात्स्यकी महाविद्यालय ने भी संबोधित किया।
इस बैठक में विभिन्न वैज्ञानिकों व अधिकारियों द्वारा गत खरीफ में किये गये अनुसंधान एवं विस्तार कार्यो का प्रस्तुतीकरण किया गया तथा किसानों को अपनाने हेतु सिफारिशें जारी की गई।