राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

जामली के दिनेश ने ड्रैगन फ्रूट की खेती से जमाई धाक

सफलता की कहानी

27 अप्रैल 2024, मंडलेश्वर(दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर):जामली के दिनेश ने ड्रैगन फ्रूट की खेती से जमाई धाक – कृषि में नवाचार करने में कई तरह की जोखिम रहती है, लेकिन जो किसान चुनौतियों का डटकर सामना करते हैं, अंततः उन्हीं को सफलता मिलती है। ऐसी ही एक मिसाल जामली (महू ) के उन्नत किसान श्री दिनेश पाटीदार ने पेश की है,जो क्षेत्र में विगत चार वर्षों से ड्रैगन फ्रूट की खेती सफलतापूर्वक कर रहे हैं। इस नई फसल से न केवल आय बढ़ी है, बल्कि क्षेत्र में उनकी धाक भी बढ़ी है।

ड्रैगन फ्रूट की जानकारी ली – ग्राम जामली तहसील महू जिला इंदौर के उन्नत किसान श्री दिनेश पाटीदार ने कृषक जगत को बताया कि जामली के अलावा ग्राम नांदेड़ और महेश्वर सहित कुल 80 एकड़ ज़मीन है। पूना कृषि प्रदर्शनी  एवं अन्य कृषि कार्यक्रमों में ड्रैगन फ्रूट की खेती के बारे में पता लगने पर इसे करने का विचार आया। इसे शुरू करने से पहले  अमरावती में उद्यानिकी विभाग के डॉ सिंह से मिले। उन्होंने डॉ श्रीनिवास राव का जिक्र किया, जो पेशे से डॉक्टर होने के बावजूद ड्रैगन फ्रूट के प्रमुख उत्पादक हैं। डॉ राव से उनके सांगारेड्डी ( हैदराबाद ) स्थित फार्म पर  मुलाकात की और ड्रैगन फ्रूट से संबंधित पूरी जानकारी ली मसलन किस्म कौनसी लें ,मौसम और तापमान कैसा रहना चाहिए आदि । उन्होंने कहा ड्रैगन फ्रूट अधिकतम 44 -45 डिग्री तक तापमान सहन कर लेता है। निमाड़ से सटा होने के कारण जामली में भी 42 -43 डिग्री तक तापमान रहता ही है। इसलिए ड्रैगन फ्रूट लगाने की ठानी।  

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अधिकतम कीमत 180 रु किलो – श्री पाटीदार ने बताया कि चार साल पहले पहली बार ड्रैगन फ्रूट की सी -वेरायटी दो एकड़ में लगाई। ड्रैगन फ्रूट को दो विधियों पोल विधि और ट्रेलीस  विधि से लगाया जाता है। ड्रैगन फ्रूट की तीन -चार किस्में होती हैं जैसे ऊपर से लाल अंदर से सफ़ेद , ऊपर और अंदर दोनों लाल और ऊपर से पीली अंदर से सफ़ेद  निकलती  है। जून- जुलाई में इसमें फूल आना शुरू हो जाते हैं। इसके बाद अगस्त -सितंबर में एक साथ फलोत्पादन होने लगता है। यह सीजन में औसत 130 – 140 रु / किलो बिकता है ,जबकि नवंबर से मार्च के ऑफ़ सीजन में यह अधिकतम 180 रु / किलो तक बिकता है। अधिकतम माल इंदौर मंडी में ही  बेचते हैं । इसके अलावा मुंबई और नासिक भी भेजा जाता है।

2 एकड़ में 4 टन का उत्पादन लिया – श्री दिनेश ने बताया कि 2 एकड़ में पहली बार लगाए ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन 4 टन / एकड़ का मिला था , जबकि दूसरे साल 12 टन मिला , वहीं इस साल साढ़े सात टन / एकड़ का उत्पादन मिला। लगातार बढ़ते उत्पादन से उम्मीद  है कि अगले साल यह आंकड़ा 10 टन / एकड़  तक पहुँच जाएगा। यह एक बहुवर्षीय फसल है ,जिसमें आगे उत्पादन स्थिर हो जाता है और 10 -12  साल तक वही उत्पादन मिलता रहता है। इसके अलावा श्री पाटीदार के यहाँ अमरुद की रेड डायमंड किस्म के 600 पेड़ और 16 एकड़ में सीताफल के पेड़ लगाए हैं , जिन्हें गर्मी में पानी देने की ज़रूरत नहीं होती है। इन फलों की बिक्री से भी लाखों में आय हो जाती है। उद्यानिकी फसल वाले कई किसान इनसे सलाह लेने आते रहते हैं। करीब 5 वर्ष पूर्व श्री पाटीदार ने एक बीघा में 120  क्विंटल अदरक का उत्पादन लिया था। इस पर इन्हें तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह द्वारा पटना में ‘श्रेष्ठ कृषक ‘ से सम्मानित किया गया था।

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