अन्य राज्यों से आए दलहन पर मंडी शुल्क से छूट देने की मांग
09 फरवरी 2023, इंदौर: अन्य राज्यों से आए दलहन पर मंडी शुल्क से छूट देने की मांग – ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन ने राज्य सरकार से म.प्र. में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से अति शीघ्र छूट देने की मांग की है | राज्य के मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री द्वारा राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से स्थाई रूप से छूट देने की घोषणा की थी। जो अब तक अमल में नहीं लाई गई है।
दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सुरेश अग्रवाल ने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि मध्यप्रदेश में प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व वर्षों में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन – तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, चना, मटर आदि पर मंडी शुल्क से छूट दी जाती
रही है | लेकिन 1 अगस्त 2019 से राज्य के बाहर से मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क लगना शुरू हो गया , जिससे पिछले साढ़े तीन वर्ष में मध्यप्रदेश में दाल उद्योगों की हालत एकदम दयनीय हो गई है | सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया है।
घोषणाओं पर अमल नहीं- मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने 25 अप्रैल 2022 को ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की बैठक में मध्यप्रदेश के कृषि आधारित दाल उद्योगों के हित में राज्य के बाहर से दाल बनाने के लिए मंगाये जाने वाले दलहन पर मंडी शुल्क से स्थाई रूप से छूट देने की घोषणा की थी। इसी तरह मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान से 15 दिसंबर 2022 को संस्था के प्रतिनिधि मण्डल ने मुलाकात कर मंडी शुल्क से छूट दिए जाने का अनुरोध किया था, तब मुख्यमंत्री ने मंडी शुल्क से अतिशीघ्र छूट देने का आश्वासन दिया गया था। यही नहीं मुख्यमंत्री ने दिसंबर 2022 में आयोजित भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी मंडी शुल्क से छूट देने की घोषणा की थी, इस घोषणा पर भी आज तक अमल नहीं हुआ है। श्री अग्रवाल ने कहा कि यह कैसी विसंगति है कि एक तरफ राज्य सरकार मध्यप्रदेश में ग्लोबल समिट कर देश – विदेश के कारोबारियों को मध्यप्रदेश मे उद्योग-धंधे स्थापित करने हेतु आमंत्रित कर, उन्हें हर प्रकार की सुविधा देने की बात कर रही है, वही दूसरी ओर प्रदेश के परंपरागत कृषि आधारित दाल उद्योगों की अनदेखी कर उन्हे प्रदेश से बंद करने एवं पलायन करने की ओर अग्रसर कर रही है। पिछले साढ़े तीन सालों में मध्य प्रदेश में दाल इंडस्ट्रीज़ का उत्पादन 50% तक घट गया है, कुछ दालइंडस्ट्रीज़ बंद होने की कगार पर है, तो कुछ अन्य प्रदेशों में पलायन कर रही है। दाल उद्योगों को बचाने के लिए मंडी शुल्क से तुरंत छूट देने की ज़रूरत है।
दलहन पर मंडी शुल्क लगने का विपरीत प्रभाव – श्री अग्रवाल ने कहा कि म.प्र. में मण्डी शुल्क 1.70 प्रतिशत होने के कारण मध्यप्रदेश के पड़ोसी राज्यों गुजरातके – बड़ौदा, दाहोद, गोधरा, हिम्मतनगर एवं महाराष्ट्र राज्य के – जलगांव, भुसावल,धुलिया एवं नागपुर की दालें म.प्र. में आकर बिक रहीं हैं, क्योंकि वहां मण्डी शुल्क कम है। म.प्र. की दाल इंडस्ट्रीज की दालें मण्डी शुल्क के कारण मंहगी होने से दालों की बिक्री कम हो रही है तथा प्रदेश की दाल मिलों का उत्पादन धीरे धीरे कम हो रहा है । म.प्र. में गेहूं, सोयाबीन तथा चना की पैदावार बहुत अधिक होती है, इसलिए तुअर, उड़द और मूंग म.प्र. राज्य के बाहर से मंगवाना पड़ता है | मण्डी शुल्क की छूट स्थाई रूप से नहीं मिलने से दाल उद्योगों द्वारा दाल बनाने केलिए म.प्र. के बाहर से कच्चा माल (दलहन) – तुअर/अरहर, उड़द/, मूंग, मसूर, मटर व चना मंगवाने पर पड़ोसी राज्यों महाराष्ट्र व गुजरात के अनुसार ही म.प्र. में पॉलिसी बनाना चाहिए। म.प्र. में मण्डी शुल्क खरीदी पर लगता है।जबकि महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में बाहर से (अन्य राज्यों से) कृषिउपज दलहन – तुअर, उड़द, मूंग, मटर, मसूर व चना आदि खरीदकर दाल बनाने पर मण्डी – शुल्क नहीं लगता है।गुजरात में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर मंडी शुल्क 0.50% 5000/-, महाराष्ट्र में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर (सेस) 0.80% 8000/- और म.प्र. में प्रति ट्रक दस लाख की कीमत पर 1.70% अर्थात 17000/- लगता है।
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