State News (राज्य कृषि समाचार)

मिर्च किसानों को 3000 करोड़ के नुकसान की आशंका

Share

आंध्रप्रदेश – तेलंगाना में थ्रिप्स कीट के कारण गहराया संकट

14 दिसंबर 2021, विजयवाड़ा । मिर्च किसानों को 3000 करोड़ के नुकसान की आशंका – आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मिर्च उत्पादक किसानों को थ्रिप्स कीटों वजह से गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस सीजन में लगभग 5 लाख एकड़ इलाके में थ्रिप्स कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा है। इलाके में प्रति एकड़ लगभग 6 क्विंटल मिर्च की फसल होती है, जो लगभग 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकती है। यानी किसानों को प्रति एकड़ 60 हजार रुपए का नुकसान हुआ है। 5 लाख एकड़ के हिसाब से किसानों को लगभग 3,000 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान है।

गुंटूर जिले के कोथापालम गांव के किसान मन्नेमपल्ली नरसिम्हाराव बताते हैं कि उन्होंने 4.5 एकड़ में मिर्च की फसल बोई थी, जो थ्रिप्स की वजह से तबाह हो गई है। ऐसे ही कारुचोलू गांव के किसान गौतम श्रीनिवास राव कहते हैं कि वेस्टर्न फ्लॉवर ब्लैक थ्रिप्स की वजह से इलाके में मिर्च और अन्य फसलों को जमकर नुकसान हुआ है। राव का कहना है कि सरकार ने डीडीवीपी जैसे प्रभावी कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिसकी वजह से थ्रिप्स जैसे कीटों की संख्या बेहिसाब बढ़ गई है। दोनों ही प्रदेशों के हजारों किसान इस कीट आपदा से प्रभावित हुए हैं और सरकार से राहत देने की मांग की है।

कीटनाशकों पर प्रतिबंध से बढ़ी समस्या

किसानों का कहना है कि मिर्च के थ्रिप्स, कपास के पिंक बालवर्म और चावल के बीपीएच जैसे कीटों पर असरकारी फॉसेलोन और डीडीवीपी बाजार से गायब हो गए हैं या इन पर सरकारी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन दोनों ही प्रोडक्ट के इस्तेमाल से समय रहते इन कीटों पर नियंत्रण हो जाता था और फसल अच्छी होती थी। लेकिन अब इनके जैसा कोई भी प्रभावी उत्पाद बाजार में उपलब्ध नहीं है। इन उत्पादों पर सिर्फ इसलिए बैन लगा दिया गया क्योंकि ये दूसरे देशों में बैन थे, लेकिन इसके लिए भारतीय परिस्थितियों में इनकी प्रभावशीलता को ध्यान में नहीं रखा गया और न ही इन्हें बाजार से हटाने से पहले किसानों से कोई परामर्श किया गया। किसान पिछले 2-3 दशकों से इन कीटनाशकों का सफल इस्तेमाल करते आ रहे थे। जानकारों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि एग्रोकेमिकल्स के इस्तेमाल की समीक्षा करते समय अलग-अलग मोड ऑफ ऐक्शन (एमओए) की भूमिका पर विचार करना भी काफी जरूरी है। भारत को अपने छोटे किसानों की उपयोगिता के आधार पर और अपने कृषि-जलवायु संबंधी आंकड़ों के आधार पर कीटनाशकों की समीक्षा करनी चाहिए न कि यूरोप या अन्य देशों की ठंडी जलवायु के आधार पर।

थ्रिप्स तेजी से बढ़ने वाला कीट

साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर के निदेशक श्री भगीरथ चौधरी के मुताबिक थ्रिप्स एक ऐसी कीट प्रजाति है, जिसमें पुरुष और मादा जननांग एक ही कीट में होने की वजह से यह बहुत ही तेजी से अपनी संख्या बढ़ाती है। अगर इस पर शुरुआत में ही नियंत्रण नहीं किया गया तो यह काफी तबाही मचा सकती है।

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *