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राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

छत्तीसगढ़: सब्जियों की खेती से बदली किसान सुरेश की तकदीर, सालाना लाखों में हो रही कमाई

08 अगस्त 2025, नई दिल्ली: छत्तीसगढ़: सब्जियों की खेती से बदली किसान सुरेश की तकदीर, सालाना लाखों में हो रही कमाई – छत्तीसगढ़ के ग्राम गातापार खुर्द के प्रगतिशील किसान सुरेश सिन्हा ने परंपरागत खेती से हटकर सब्जी उत्पादन को अपनाया और अब वे जिले ही नहीं, पूरे राज्य के किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं। धान के स्थान पर सब्जी की खेती करने के उनके निर्णय ने न केवल आर्थिक मजबूती दी, बल्कि जीवन स्तर में भी बड़ा बदलाव लाया है। पढ़िए किसान सुरेश की सफलता की कहानी।  

सब्जियों की खेती से आमदनी हुई भारी बढ़ोत्तरी  

सुरेश सिन्हा ने अपनी 5.5 एकड़ भूमि पर खीरे की खेती शुरू की, जिससे अब तक ₹2.5 लाख रुपये की आमदनी हो चुकी है। खीरे की तोड़ाई अभी भी चल रही है और उत्पादन प्रयागराज, ओडिशा व कोलकाता जैसे शहरों तक भेजा जा रहा है। इसके साथ ही, उन्होंने पॉली हाउस में शिमला मिर्च की खेती कर ₹3.5 लाख की आमदनी प्राप्त की। पॉली हाउस की कुल लागत ₹34 लाख रही, जिसमें ₹17 लाख का अनुदान शासन द्वारा दिया गया।

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सरकारी योजनाओं से मिला संबल, तकनीक बनी सहारा

सरकार की किसानहितैषी योजनाओं का लाभ लेते हुए सुरेश सिन्हा ने पैक हाउस निर्माण हेतु ₹2 लाख का अनुदान प्राप्त किया। खेती में उपयोग होने वाले कृषि यंत्रों पर भी उन्हें 50% तक अनुदान मिला। पिछले वर्ष 7 एकड़ भूमि पर टमाटर की खेती कर उन्होंने ₹3 लाख की आमदनी अर्जित की थी, और इस वर्ष भी टमाटर की फसल की तैयारी जारी है। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल का बीमा भी करवाया है।

खेती को बनाया लाभ का व्यवसाय, बने आत्मनिर्भर किसान

कुल 15 एकड़ भूमि में से सुरेश सिन्हा 8 एकड़ में धान और 7 एकड़ में सब्जी की खेती कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि किसान तकनीकी नवाचार अपनाएं और शासन की योजनाओं का पूरा लाभ लें, तो खेती भी एक कमाऊ पेशा बन सकती है। खेती से मिली आमदनी से उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित की और बेटी का सम्मानजनक विवाह भी संपन्न किया।

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“आधुनिक खेती आत्मनिर्भरता की राह” – सुरेश सिन्हा

सुरेश सिन्हा का कहना है कि आज का किसान यदि जागरूक हो, योजनाओं को समझे और परंपरा से आगे बढ़े, तो वह आर्थिक रूप से मजबूत हो सकता है। उनकी सफलता उन सभी किसानों के लिए प्रेरणा है, जो खेती को घाटे का सौदा समझते हैं।

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