राज्य कृषि समाचार (State News)

उज्जैन जिले में नरवाई जलाना प्रतिबंधित

10 मार्च 2025, उज्जैन: उज्जैन जिले में नरवाई जलाना प्रतिबंधित – जिले के कृषक भाइयों से अपील की जाती है, कि गेहूं एवं अन्य फसलों को काटने के बाद बचे हुए फसल अवशेष (नरवाई) जलाना खेती के लिये आत्मघाती कदम है।

वर्तमान में जिले में लगभग गेहूं फसल की कटाई हो चुकी है। गेहूं काटने के पश्चात् किसान सामान्य तौर पर नरवाई में आग लगा देते है, जिससे पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता शक्ति एवं लाभदायक जीव जो कि फसलों को लाभान्वित करते है आदि नष्ट हो जाते है। इस संबंध में म.प्र. शासन के नोटिफिकेशन दिनांक 15.05. 2017 में निषेधात्मक निर्देशों के उल्लंघन किये जाने पर निम्नानुसार दंड का प्रावधान होगा।

Advertisement
Advertisement
  • 1-02 एकड़ से कम भूमि रखने वाले को रू. 2500/- प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति,
  • 2-02 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़ से कम भूमि रखने वाले को रू. 5000/- प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति,
  • 3- 05 एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले को रू. 15000/- प्रति घटना पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि देय होगी।

खेत में गेहूं एवं अन्य फसलों के कृषि अपशिष्टों को जलाने से निम्न हानियां होती है-

  • भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है।
  • भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव जलकर नष्ट हो जाते है। सूक्ष्म जीवों के नष्ट होने के फलस्वरूप जैविक खाद का निर्माण बंद हो जाता है।
  • भूमि की ऊपरी परत में ही पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध रहते है। आग लगाने के कारण पोषक तत्व जलकर नष्ट हो जाते है।
  • भूमि कठोर हो जाती है, जिसके कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है और फसलें सूखती है।
  • खेत की सीमा पर लगे पेड़ पौधे (फल, वृक्ष आदि) जलकर नष्ट हो जाते है।
  • पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। वातावरण के तापमान में वृद्धि होती है, जिससे धरती गर्म होती है।
  • कार्बन से नाइट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है।
  • कार्बन से नाइट्रोजन तथा फास्फोरस का अनुपात कम हो जाता है।
  • केंचुए नष्ट हो जाते है। इस कारण भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।
  • नरवाई जलाने से जन-धन की हानि होती है।

अतः उपरोक्त नुकसान से बचने के लिये किसान भाई नरवाई में आग न लगावे।

नरवाई का प्रबंध निम्न तरीकों से किया जाता है

नरवाई जलाने की अपेक्षा अवशेषों और डंठलों को एकत्र कर जैविक खाद जैसे- भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो वे बहुत जल्दी सड़कर पोषक तत्वों से भरपूर कृषक स्वयं का जैविक खाद बना सकते है। खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि कि सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश खाद कि बचत कि जा सकती है।

Advertisement8
Advertisement

सामान्य हार्वेस्टर से गेहूं कटवाने के स्थान पर स्ट्रा रीपर एवं हार्वेस्टर का प्रयोग करें तो पशुओ के लिए भूसा और खेत के लिए बहुमूल्य पोषक तत्वों कि उपलब्धता बढने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगड़ने से बचाया जा सकता है। खेतों में नरवाई जलाने का कृत्य जिला कलेक्टर द्वारा प्रतिबंधित है।  नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जावेगा।

Advertisement8
Advertisement

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement