ड्रैगन फ्रूट की खेती पर बिहार सरकार दे रही 40% सब्सिडी, जानिए पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
25 जुलाई 2025, भोपाल: ड्रैगन फ्रूट की खेती पर बिहार सरकार दे रही 40% सब्सिडी, जानिए पात्रता और आवेदन प्रक्रिया – बिहार सरकार किसानों को नए और लाभदायक कृषि विकल्प देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में अब ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए “ड्रैगन फ्रूट विकास योजना” की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत योग्य किसानों को कुल लागत का 40% अनुदान (सब्सिडी) दिया जाएगा। योजना वित्तीय वर्ष 2025-26 और 2026-27 तक लागू रहेगी।
क्या है योजना का लाभ?
इस योजना के अंतर्गत ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर अनुमानित लागत ₹8.75 लाख तय की गई है। किसानों को इस लागत पर कुल 40% की दर से अनुदान दिया जाएगा, जो कि प्रति हेक्टेयर ₹2.70 लाख के लगभग होगा। यह अनुदान दो चरणों में किसानों को प्रदान किया जाएगा। पहले चरण में, वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल अनुदान का 60% यानी ₹1.62 लाख की राशि दी जाएगी, जबकि शेष 40% यानी ₹1.08 लाख की राशि दूसरे चरण में, वित्तीय वर्ष 2026-27 में किसानों को प्रदान की जाएगी।
किन जिलों को मिलेगा योजना का लाभ?
यह योजना बिहार के 18 चयनित जिलों में लागू की गई है। इनमें अररिया, औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, बक्सर, दरभंगा, गया, जमुई, कटिहार, किशनगंज, लखीसराय, मधेपुरा, मुंगेर, नवादा, पूर्णिया, रोहतास, सहरसा और सुपौल शामिल है।
पात्रता (Eligibility)
1. किसान के पास उपयुक्त भूमि और संसाधन होने चाहिए।
2. योजना लागू जिलों में किसान की भूमि स्थित होनी चाहिए।
3. भूमि के दस्तावेज, पहचान पत्र और बैंक खाता विवरण होना आवश्यक है।
4. इच्छुक किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
आवेदन प्रक्रिया
1. किसान http://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं
2. वेबसाइट पर “ड्रैगन फ्रूट विकास योजना” सेक्शन में जाकर आवेदन फॉर्म भरें
3. जरूरी दस्तावेज अपलोड करें जैसे – भूमि रसीद, आधार कार्ड, पासबुक की प्रति आदि
4. आवेदन की स्थिति और चयन प्रक्रिया की जानकारी वेबसाइट पर ही मिलेगी
सहायता के लिए संपर्क करें:
यदि आवेदन या पात्रता को लेकर कोई समस्या हो, तो किसान अपने जिले के उद्यान पदाधिकारी कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती क्यों है फायदेमंद?
ड्रैगन फ्रूट एक उष्णकटिबंधीय फल है जिसकी बाजार में अच्छी मांग और दाम हैं। यह फल कम पानी में भी उगाया जा सकता है और इसे जैविक खेती के रूप में भी अपनाया जा सकता है। बिहार में इसकी खेती किसानों को लाभदायक और निर्यात-योग्य उत्पाद देने का अवसर देती है।
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