बिहार सरकार ने बनाया कानून ताकि पशुओं के पेट में न जाए प्लास्टिक और पॉलीथिन
20 सितम्बर 2025, भोपाल: बिहार सरकार ने बनाया कानून ताकि पशुओं के पेट में न जाए प्लास्टिक और पॉलीथिन – बिहार की सरकार ने एक ऐसा कानून बना दिया है जिससे न केवल पॉलीथिन और प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगेगी वहीं पशुओं के पेट में भी जाने से बचाया जा सकेगा. दरअसल होता यह है कि लोग बचा हुआ खाना आदि पॉलीथिन में पैक कर सड़क पर फैंक देते है और सड़कों पर घूमने वाले पशु ऐसी ही पॉलीथिन को निगल जाते है लेकिन यह पशुओं के साथ जान के लिए खतरा बन रहा है.
पशु और मत्स्य संसाधन विभाग ने चेतावनी दी है कि पॉलिथीन हमारे जानवरों के लिए साइलेंट किलर यानी चुपचाप मारने वाला बन गया है. जानवर जब इसे निगल लेते हैं, तो उनके पेट और आंत में यह जमकर गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है. अक्सर हम बचा हुआ खाना, फल और सब्जियों के पत्ते या किचन वेस्ट को प्लास्टिक के थैले में बांधकर फेंक देते हैं. कई बार यह कचरा सड़क के किनारे या खेतों में छोड़ दिया जाता है. पशु जब खाना ढूंढते हैं, तो प्लास्टिक के साथ अन्य खाने योग्य चीजें भी निगल लेते हैं. प्लास्टिक का चिकना और स्वाद रहित होना इसकी निगलने की संभावना बढ़ा देता है. पशु इस प्लास्टिक को अलग नहीं कर पाते और धीरे-धीरे यह उनके पेट और आंत में जमा हो जाता है. इससे गंभीर पाचन संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं. पेट में जमा होने के कारण प्लास्टिक एक कड़ा गेंद या रस्से की तरह बन जाता है. इससे पशुओं को भूख नहीं लगती, पेट में दर्द होता है, गैस और दस्त जैसी समस्याएं होती हैं. पॉलिथीन धीरे-धीरे जानवरों की सेहत खराब कर देता है और कभी-कभी जानलेवा भी साबित होता है. यही कारण है कि इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक की वजह से होने वाली बीमारियों का घरेलू इलाज संभव नहीं है.जानवर के पेट में जमा प्लास्टिक केवल ऑपरेशन के जरिए ही निकाला जा सकता है. बिहार सरकार ने प्लास्टिक के उपयोग पर सख्त कानून बनाए हैं. इसके तहत:- खाद्य पदार्थों को प्लास्टिक में पैक कर सड़क पर फेंकना अपराध है. दुकानदार और आम लोग प्लास्टिक के बैग कम से कम इस्तेमाल करें. जो लोग नियम का पालन नहीं करते, उन्हें जुर्माना और अन्य सजा मिल सकती है. इन नियमों का पालन करने से पशुओं के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
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