भावांतर योजना को मिली शानदार प्रतिक्रिया, 1.50 लाख से अधिक किसानों ने कराया पंजीकरण
10 अक्टूबर 2025, भोपाल: भावांतर योजना को मिली शानदार प्रतिक्रिया, 1.50 लाख से अधिक किसानों ने कराया पंजीकरण – मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसानों के लिए शुरू की गई भावांतर भुगतान योजना को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। सीएम मोहन यादव ने मंगलवार को बताया कि अभी तक 1.50 लाख से ज्यादा किसानों ने इस स्कीम में अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। उन्होंने कहा कि इस योजना को किसानों से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है और यह उन्हें फसल की उचित कीमत दिलाने और नुकसान से बचाने का भरोसेमंद माध्यम बन रही है।
सोयाबीन किसानों के लिए रजिस्ट्रेशन अभी भी चालू है, जिसकी आखिरी तारीख 17 अक्टूबर रखी गई है। अब तक करीब 61,970 किसानों ने पंजीकरण कराया है। सीएम ने भरोसा दिलाया है कि अगर मंडी में सोयाबीन का रेट कम मिलता है तो सरकार भावांतर योजना के तहत किसानों को नुकसान की भरपाई करेगी। सरकार की कोशिश है कि किसानों को MSP के हिसाब से ही उनका हक मिल सके।
जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
सीएम यादव का कहना है कि प्रदेश की एग्रीकल्चर पॉलिसी अब नेचुरल और ऑर्गेनिक फार्मिंग को प्रमोट करने पर फोकस कर रही है। उन्होंने बताया कि बागवानी फसलों से भी किसान कम जमीन में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके लिए जिलों के कलेक्टर्स को टास्क मिला है कि अपने-अपने इलाके में 100-100 किसानों को जैविक खेती के लिए मोटिवेट करें और उनकी उपज बेचने के लिए बाजार मुहैया करवाएं।
सीएम का कहना है कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्हें पारंपरिक खेती के साथ-साथ बागवानी, दुग्ध उत्पादन और मत्स्य पालन जैसी एक्टिविटीज की तरफ ले जाना जरूरी है। इसके अलावा, फसलों में खाद का इस्तेमाल भी वैज्ञानिक तरीके से किया जाए।
मंडियों पर सख्त निगरानी
किसानों को भावांतर योजना का पूरा फायदा दिलाने के लिए सीएम ने अधिकारियों को कहा कि मंडियों में सोयाबीन की नीलामी पर कड़ी नजर रखें। उन्होंने जोर दिया कि योजना के माध्यम से किसानों को उनके फसल मूल्य का पूरा लाभ समय पर मिलना चाहिए।
कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक वर्णवाल ने भी बताया कि किसानों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन, स्वच्छ मंडी, और हैप्पी सीडर जैसे उपकरणों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। सभी काम समय पर पूरे करने के निर्देश मिल चुके हैं ताकि किसानों को किसी तरह की देरी न हो।
कृषि और संबद्ध क्षेत्रों पर फोकस
कलेक्टर्स-कमिश्नर्स कॉन्फ्रेंस 2025 के पहले सेशन में सीएम ने कहा कि ग्राम युवा अब एग्रीकल्चर एंटरप्रेन्योर बनें, इसके लिए हर जिले में कोशिशें तेज करनी होंगी। मिलेट्स और बागवानी फसलों को प्रमोट करना प्रदेश की प्राथमिकता है।
गुना जिले में गुलाब की खेती की तारीफ करते हुए सीएम ने कहा कि इसे धार्मिक शहरों तक फैलाया जाए, जिससे स्थानीय स्तर पर गुलाब की खेती और बिक्री बढ़े। सीएम ने कहा कि किसानों को पराली/नरवाई जलाने से रोकने के लिए सख्त निगरानी और वैकल्पिक प्रबंधन अपनाना आवश्यक है।
मत्स्य पालन, बागवानी और नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा
सीएम ने कहा कि किसानों को केज कल्चर, फिशरीज और डेयरी जैसी आय बढ़ाने वाली एक्टिविटीज की तरफ प्रोत्साहित करना है। साथ ही, हफ्ते के बाजार और हाट में इनकी उपज की बिक्री पक्की करनी होगी।
कलेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि किसानों की नेचुरल फार्मिंग के प्रयासों का रिकॉर्ड रखें, फायदे का अध्ययन करें और उनकी सक्सेस स्टोरी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं। गांव-गांव कृषक संगोष्ठियों के जरिए योजना और नए उपकरणों का प्रचार किया जाएगा।
अधिकारियों और विभागों का रोल
सत्र में कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन और सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने अपने-अपने विभाग की उपलब्धियां बताईं। पांच जिलों के कलेक्टर्स ने अपने जिले में खास तौर पर किए गए कामों की जानकारी दी। गुना कलेक्टर ने गुलाब क्लस्टर, हरदा ने ऑर्गेनिक फार्मिंग, शाजापुर ने खाद वितरण के लिए टोकन सिस्टम, श्योपुर ने फसल अवशेष प्रबंधन और खंडवा कलेक्टर ने गौशाला की सफल पहल के बारे में बताया।
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