राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश बजट हेतु भारत कृषक समाज ने दिए सुझाव

22 जून 2024, इंदौर: मध्यप्रदेश बजट हेतु भारत कृषक समाज ने दिए सुझाव – मध्यप्रदेश शासन द्वारा बजट पूर्व मांगे गए सुझावों के परिप्रेक्ष्य में मध्य प्रदेश के किसानों की ओर से गैर राजनीतिक, वर्गविहीन राष्ट्रीय संगठन ‘ भारत कृषक समाज ‘ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं अध्यक्ष महाकौशल जोन मप्र के श्री के के अग्रवाल द्वारा अव्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए किसानों के हित में कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिन पर संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में गांव , खेत, किसान, मजदूर और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए वर्तमान बजट में  राज्य की 65 -70 % आबादी के लिए प्रांत के कुल बजट में से केवल 9  -11 % राशि को अपर्याप्त  बताते हुए कहा है कि इसमें वृद्धि किए बिना किसान और गांव का समुचित विकास और उनकी समृद्धि सम्भव नहीं है। खेती से जुड़े विभागों द्वारा प्रायः बजट नहीं होने का रोना रोया जाता है। इसलिए जब तक बजट में वृद्धि नहीं होगी , तब तक किसानों की समृद्धि की कल्पना बेमानी होगी।

अव्यवस्थाएं – भारत कृषक समाज ने कृषि से सम्बद्ध अव्यवस्थाओं  का बिंदुवार उल्लेख करते हुए सिंचाई नहरों की जर्जर हालत होने से उनका उपयोग नहीं होने ,मरम्मत की राशि का अभाव, नहर किनारों की दोनों तरफ की अधूरी सड़कें होने से खेतों में आवागमन की परेशानी का जिक्र करते हुए बताया कि राशि के अभाव में  खेत सड़क योजना कागजों तक सीमित रह गई है। बिजली ट्रांसफार्मरों की बदहाली , सुधार कार्य का अभाव और मैदानी कर्मचारियों की कमी , बजट नहीं होने से भर्तियां नहीं होने ,दूसरे राज्यों को बिजली बेचने से किसानों को वास्तव में 5  घंटे भी बिजली नहीं मिल पा रही है। कृषि पम्प सौर ऊर्जा योजना भी धन के अभाव में बंद पड़ी है, जबकि किसानों  का अग्रिम जमा है। उपज के उपार्जन में भी बजट की कमी से बोनस बंद कर दिया है। एक ओर जहाँ किसानों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है , वहीं दूसरी ओर  बाहरी  देशों को भारी राशि देकर खरीदने की नीतियां बन रही है। निर्यात के रास्ते बंद हैं इस पर विचार करने की ज़रूरत है।

महत्वपूर्ण मांगें –  चुनाव पूर्व घोषणा अनुसार किसानों को धान एवं गेहूं का समर्थन मूल्य दिया जाए। उपज उपार्जन का भ्रष्टाचार रोका जाए। धन राशि के अभाव में  खाद बीज वितरण की लड़खड़ाई व्यवस्था में सुधार किया जाए।तहसील स्तरीय मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में संसाधन उपलब्ध कराकर स्टाफ की नियुक्ति की जाए। प्रदेश के  कृषि विवि में आधे से अधिक पदों की भर्ती / अनुसंधान के लिए धन राशि नहीं है। यह उपलब्ध कराई जाए। राज्य की कृषि उपज मंडियों में संसाधन और तकनिकी सुविधाओं का विस्तार किया जाए।  सहकारी समितियों का उन्नयन कर समिति स्तर पर भंडार गृह और कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएं। जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने  जैविक उत्पादों की मार्केटिंग ,  ग्रामीण गृह उद्योग , प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए बजट बढ़ाया जाए। गांव के स्कूल ,अस्पताल , आंगनवाड़ी बजट के अभाव में बदहाल हैं। यहाँ समुचित संसाधन और स्टॉफ नियुक्त किया जाए। खासतौर से ग्रामीण अधोसंरचना , नहरों के रखरखाव ,गुणवत्तायुक्त बिजली की उपलब्धता,कृषि उपज उपार्जन, कृषि आदान सामग्री की मांग के अनुरूप व्यवस्था  के लिए बजट में प्राथमिकता से वृद्धि  के प्रावधान किए जाएं ।

सुझाव – किसानों की खेती की लागत अप्रत्यशित रूप से बढ़ रही है , अतः जब तक लागत में कमी करने के उपाय नहीं किए जाएंगे, तब तक किसान घाटे में ही रहेगा। इसलिए निम्न सुझावों पर अमल किया जाए और इस वर्ष के बजट में प्रान्त के कुल बजट में गांव ,खेत और किसान के लिए 25 % भागीदारी सुनिश्चित की जाए।

  • कृषि की सभी आदान सामग्री, कृषि यंत्र, डीजल आदि कर मुक्त किए जाएं और इनकी कीमतें  कम की जाएं।
  • कृषि आदान सामग्रियों की सब्सिडी बढ़ाई जाए।
  • किसानों को कर्जमुक्त किया जाए।
  • कृषि क्षेत्र के लिए सभी बैंकों द्वारा ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध कराया जाए।
  • किसानों की न्यूनतम आय की गारंटी सुनिश्चित की जाए।
  • अन्य प्रांतों की तरह प्रति एकड़ सहायता राशि प्रदान की जाए।
  • किसान कल्याण एवं किसान आय आयोग का गठन किया जाए , जिसमें किसान प्रतिनिधि सम्मिलित हों, इसे कृषकों के लिए नीति बनाने एवं लागू करवाने की जिम्मेदारी सौंपी जाए।
  • ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बजट में बढ़ोतरी की जाए , तथा I
  • स्मार्ट सिटी की तर्ज़ पर प्रत्येक तहसील में स्मार्ट विलेज विकसित किए जाएं

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