राज्य कृषि समाचार (State News)

ग्रीष्मकालीन मूंग में नींदानाशक का प्रयोग नहीं करने हेतु जागरूकता अभियान

25 मार्च 2025, देवास: ग्रीष्मकालीन मूंग में नींदानाशक का प्रयोग नहीं करने हेतु जागरूकता अभियान – उप संचालक कृषि ने बताया कि किसानों द्वारा आमदनी बढ़ाने के लिए तीसरी फसल के तौर पर ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, जबलपुर, विदिशा, सीहोर, नरसिंहपुर, रायसेन समेत कई जिलों में लगभग   14.39 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग लगाई जा रही है।

देवास जिले में मुख्‍यतः खातेगांव, कन्‍नौद, सतवास तहसील में 45 हजार हेक्‍टेयर क्षेत्र में ग्रीष्‍मकालीन मूंग ली जाती है, जो 70 से 80 दिनों में फसल तैयार होती है, लेकिन तब तक मानसून आ जाता है। जिससे मूंग फसल खराब होने की संभावना रहती हैं। किसानभाई ग्रीष्मकालीन मूंग के स्‍थान पर चवला,  उड़द व मक्‍का की बोवनी कर सकते हैं। किसान  मार्च के अंतिम सप्ताह तक मूंग फसल की बोनी कर दें।

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बारिश से फसल खराब न हो, इसके लिए किसान रासायनिक नींदानाशक का उपयोग करते हैं। इससे उपज तो प्रभावित होती ही है, साथ ही  मृदा शक्ति (कृषि भूमि की स्‍वास्‍थ्‍य) भी कमजोर कर देती है। यहीं कारण है कि सरकार और कृषि वैज्ञानिक इससे चिंतित है और जागरूकता कार्यक्रम चलाने जा रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ग्रीष्मकालीन मूंग छह से आठ हजार रुपये प्रति किंटल की दर से बिकती है। किसानों के लिए यह अतिरिक्त आय का बड़ा माध्यम है। सिंचाई सुविधा के विस्तार के कारण किसान बड़े पैमाने पर मूंग की खेती करने लगे हैं। सरकार इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर भी खरीदती है। लेकिन जिस तरह में फसल में कीटनाशक का उपयोग किसान कर रहे हैं, यह उपज की गुणवत्‍ता के साथ-साथ भूमि की मृदा शक्ति एवं मानव स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार ग्रीष्मकालीन मूंग 70 से 80 दिनों की फसल है लेकिन इसे 20 से 25 दिन पहले ही पका लिया जा रहा है। दरअसल, किसानों को डर होता है कि वर्षा हो गई तो फसल बर्बाद हो जाएगी, इसलिए हानिकारक रसायन ग्‍वाइफोसेट, पेराक्‍वाट का उपयोग करके उसे जल्द पका लिया जाता है। कीट और खरपतवार से फसल के बचाव के लिए कीटनाशक और नींदानाशक का उपयोग अत्याधिक मात्रा में किया जाता है। कुल मिलाकर यह उपज खाने लायक नहीं रहती। इससे गंभीर बीमारियां हो रही हैं। किसान भी इस जहरीली मूंग के बारे में वाकिफ हैं, इसलिए ये लोग इसे स्वयं के उपयोग के लिए नहीं रखते हैं।

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फसल जल्दी पकाने के लिए किसान कीटनाशक के साथ पेराक्काट डाइक्लोराइड का छिड़काव करते हैं जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पशु-पक्षियों पशु के लिए हानिकारक है। मूंग फसल में अत्यधिक रासायनिक दवाओं का दुष्प्रभाव मानव स्वास्थ्य, मृदा स्वास्थ्य जल एवं पर्यावरण पर सामने आया है। कृषि वैज्ञानिकों ने कई तरह की बीमारियां जन्म लेने की आशंका भी जताई गई है। किसान मूंग फसल की पैदावार के लिए ऐसा चक्र अपनाएं, जिससे ग्रीष्मकालीन मूंग प्राकृतिक रूप से अपने समय पर पक सके। इसके लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

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