बिहार में वर्मी कम्पोस्ट एवं बायोगैस इकाइयों की स्थापना को स्वीकृति
09 जुलाई 2025, भोपाल: बिहार में वर्मी कम्पोस्ट एवं बायोगैस इकाइयों की स्थापना को स्वीकृति – बिहार सरकार ने प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए करीब 38 जिलों में वर्मी कम्पोस्ट एवं बायोगैस इकाइयों की स्थापना को स्वीकृति दे दी है. इसके अलावा, राज्य सरकार ने बायो गैस प्लांट पर भी अनुदान की सुविधा उपलब्ध करवा रही है.किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती की लागत कम करने के लिए बिहार सरकार के द्वारा कई तरह की नई योजनाएं लाती रही है.
इस संदर्भ में उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 से राज्य के सभी 38 जिलों में “पक्का वर्मी कम्पोस्ट इकाई, गोबर/बायो गैस संयंत्र और व्यावसायिक वर्मी कम्पोस्ट निर्माण इकाई योजना” शुरू की गई है. इन योजनाओं के जरिए किसानों को जैविक खाद बनाने, बायोगैस से ऊर्जा प्राप्त करने और व्यावसायिक स्तर पर खाद उत्पादन की सुविधा मिलेगी. सरकार ने इन योजनाओं के लिए 1222.50 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है. सिन्हा ने कहा कि यह योजना राज्य में जैविक खेती को मजबूती प्रदान करेगी और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम साबित होगी.
योजना क्या है?
किसानों को 75 घन फीट क्षमता के पक्के वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन इकाई की स्थापना पर लागत मूल्य का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5,000 रूपये (दोनों में से जो कम हो) अनुदान दिया जाएगा. ऐसे लाभार्थी जो खेती करते हैं और जिनके पास पशुधन है, उन्हें अधिकतम तीन इकाइयों तक अनुदान मिलेगा. इस योजना के अंतर्गत चौथे कृषि रोड मैप 2023-28 के तहत वर्ष 2025-26 के लिए 20,000 इकाइयों के निर्माण हेतु 10 करोड़ रूपये स्वीकृत किए गए हैं. इस योजना का उद्देश्य रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का उपयोग बढ़ाना और किसानों की लागत घटाना है.
2 घन मीटर उत्पादन क्षमता वाले बायो गैस संयंत्र के लिए लागत मूल्य का 50 प्रतिशत या अधिकतम 21,000 रुपये अनुदान तथा 1,500 टर्न की राशि के रूप में मिलाकर कुल 22,500 रूपये प्रति इकाई अनुदान दिया जाएगा. वर्ष 2025-26 में 100 संयंत्रों के लिए 22.50 लाख रूपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. यह योजना स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने एवं पशुधन के अपशिष्ट का उपयोग करने की दिशा में एक प्रभावी पहल है. एफ॰पी॰ओ॰, किसान उत्पादक समूह, स्टार्टअप, गैर सरकारी संगठन एवं कृषि विज्ञान केंद्रों को 1000, 2000 एवं 3000 मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता वाली इकाइयों पर क्रमशः अधिकतम 6.40 लाख रुपये, 12.80 लाख रुपये एवं 20 लाख रुपये की दर से 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा. इसके तहत 10 इकाइयों के निर्माण हेतु 2 करोड़ रूपये की राशि स्वीकृत की गई है.
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