सरकारी योजनाएं (Government Schemes)राज्य कृषि समाचार (State News)

डेयरी इकाइयों के लिये डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना में आवेदन करें

02 मई 2025, हरदा: डेयरी इकाइयों के लिये डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना में आवेदन करें – निरंतर दूध एवं दुग्ध उत्पादों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते  हुए एवं दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये शासन द्वारा मुख्यमंत्री पशुपालन विकास कार्यक्रम अंतर्गत डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना प्रारंभ की गई है। योजना के तहत दुधारू पशुओं की डेयरी इकाईयों की स्थापना की जा सकती है।

उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. एस.के. त्रिपाठी ने बताया कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना में हितग्राहियों को बैंक ऋण की सुविधा के साथ शासकीय अनुदान का प्रावधान भी है। योजना का लाभ लेने के लिये मध्य प्रदेश पशु पालन एवं डेयरी विभाग की वेबसाईट  https://www.mpdah.gov.in/ के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।  डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि लाभार्थियों का चयन ‘‘पहले आओ, पहले पाओ’’ के आधार पर ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से किया जायेगा। एक हितग्राही के द्वारा प्रति इकाई 25 दुधारू पशुओं के मान से अधिकतम 8 इकाईयों अर्थात 200 दुधारू पशु के लिये आवेदन किया जा सकता है। उन्होने बताया कि 1 इकाई में सभी गोवंश अथवा सभी भैंस वंश ही होंगें। साथ ही 1 इकाई की सभी गाय अथवा भैंस एक ही प्रजाति की होना आवश्यक है। योजना में भारतीय मूल की गायों की देशी नस्लों में साहीवाल, गिर, थारपारकर व रेड सिंधी तथा गाय की संकर नस्लों में एच.एफ. जर्सी एवं भैंस में मुर्रा, भदावरी, सुस्ती, मेहसाणा को क्रय किया जा सकता है। उन्होने बताया कि योजना के तहत पशुओं को मध्यप्रदेश के बाहर से क्रय किया जाना आवश्यक होगा।

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उप संचालक डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना के तहत हितग्राही के पास प्रति इकाई न्यूनतम 3.50 एकड़ कृषि भूमि होना आवश्यक है। इकाइयों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि होने पर आनुपातिक रूप से न्यूनतम कृषि भूमि की अर्हता में भी आनुपातिक वृद्धि आवश्यक होगी। उन्होने बताया कि यह योजना सभी वर्गों के पशुपालकों के लिये है। हितग्राही का मध्य प्रदेश राज्य का निवासी होना आवश्यक है। योजना के तहत अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति श्रेणी के हितग्राहियों के लिये निर्धारित परियोजना लागत का 33 प्रतिशत तथा अन्य श्रेणी के हितग्राहियों के लिये निर्धारित परियोजना लागत का 25 प्रतिशत अनुदान राशि होगी। डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान में दुग्ध संघों के अंतर्गत पूर्व से दूध प्रदाय कर रहे पशु पालकों दुग्ध सहकारी समिति अथवा दूध के एफ.पी.ओ. के सदस्यों एवं दुग्ध संघ व प्रोड्यूसर कंपनी के प्रचलित मिल्क रूट पर आने वाले हितग्राहियों को ‘पहले आओ, पहले पाओ’ की वरीयता में प्राथमिकता दी जायेगी।

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