राज्य कृषि समाचार (State News)

“किसानों से अपील खेतो में नरवाई न जलायें”

“शॉर्ट सर्किट या अन्‍य कारणों से नरवाई जलने से बचाने के उपाय अपनाये “

लेखक: केएस खपेडिया, उप संचालक, कृषि, (जिला विदिशा), डॉ डीके तिवारी, जिला सलाहकार, कृषि विदिशा

07 अप्रैल 2025, भोपाल: “किसानों से अपील खेतो में नरवाई न जलायें” – गेंहू की फसल काटने के पश्‍चात जो तने के अवशेष बचे रहते है उन्हें नरवाई कहा जाता है। इन्हें किसान भाई कचरा समझकर जला देते हैं । फसल अवशेषों में आग लगने से केवल नरवाई ही नहीं जलती बल्कि भूमि के अन्दर उपस्थित सभी सूक्ष्मजीव तामक्रम बढ़ने से नष्ट हो जाते हैं। नष्‍ट होने वाले जीवो में कृषि के लिये लाभदायक सूक्ष्‍मजीव , केंचुआ, सांप आदि भी नष्‍ट हो जाते है । फसल अवशेषों को जलाना, न सिर्फ किसानों के लिये हानिकारक है, अपितु इससे पर्यावरण एवं भूमि का भी प्रदूषण होता है। फसल अवशेषों को जलाने से कई प्रकार की समस्याऐं उत्पन्न होती हैं ।

“ये नुकसान होते है फसल अवशेष जलाने से”

  1. आग लगाने से जन-धन-फसल-जंगल के नष्ट होने का खतरा रहता है ।
  2. भूमि में उपस्थित कृषि उपयोगी लाभदायक सूक्ष्म जीवाणुओं नष्ट हो जाते है ।
  3. मिटटी की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है ।
  4. भूमि का कठोर होना जिससे भूमि की जल धारण क्षमता कम होकर जुताई में अधिक मेहनत एवं ट्रेक्‍टर में अधिक डीजल लगता है ।
  5. मिटटी में कार्बन की मात्रा कम हो जाती हैं जो कि भूमि के उपजाऊपन के लिये आवश्‍यक हैं ।
  6. पालतू पशुओं हेतु भूसे की कमी का सामना करना पड़ता है ।

“कटाई के समय हार्वेस्‍टर के साथ भूसा मशीन एवं रोटावेटर का प्रयोग करे”

कृषक बन्धुओं से अपील है कि खेतों की नरवाई न जलाऐं और मिट्टी की उर्वरा शक्ति बचाऐं। हारवेस्टर से गेहॅू कटाई के पश्‍चात जो डंठल शेष रह जाते है, उनसे स्ट्रारीपर (भूसा मशीन) यंत्र की सहायता से भूसा बनायें, जो कि कृषकों के लिये अतिरिक्त आय का साधन होगा। साथ ही नरवाई का उपयोग खाद एवं भूसा बनाने में करें। इस हेतु रोटावेटर यंत्र से नरवाई को बारीक कर मिटटी में मिलावें ताकि इससे खाद बन सके । इस हेतु आवश्‍यक कृषि यंत्र (स्‍ट्रारीपर, रोटावेटर एवं सुपरसीडर) कृषि अभियांत्रिकी विभाग के कस्टम हायरिंग केन्दों पर किराये से भी उपलब्ध है इसके लिये कृषक बन्धु निकटतम कस्टम हायरिंग केन्द्रों पर सम्पर्क कर सकते है ।

(के एस खपेड़िया,उप संचालक कृषि)

“ग्रीष्‍मकालीन फसल (मूंग /उडद) की बोवाई हेतु सुपरसीडर मशीन का करे उपयोग”

जिन किसानों के पास पानी की सुविधा है एवं ग्रीष्‍मकालीन मूंग या उडद लगाते है उन किसानों से अपील की जाती है कि गेहॅू की कटाई के बाद सुपरसीडर मशीन से सीधे मूंग या उडद की बौनी करे । इस बौनी की मशीन में आगे रोटावेटर लगा रहता है जिससे खेत में खडी नरवाई को भूमि में मिलाता जाता है एवं पीछे से बौनी होती जाती है । इससे नरवाई को नही जलाना पडता और समय पर बौनी होती है । (*डॉ. डी.के.तिवारी, जिला सलाहकार*)

“दण्‍डनीय अपराध भी है नरवाई जलाना”

 खेतों की नरवाई जलाने का कृत्य जिला कलेक्टर द्वारा धारा 144 के तहत प्रतिबंधित है। नरवाई में आग लगाने पर पुलिस द्वारा प्रकरण भी कायम किया जा सकता है।

“शॉर्ट सर्किट या अन्‍य कारणों से नरवाई जलने से बचाने के उपाय अपनाये”

जिन किसान भाईयो के खेतो में बिजली के ट्रांस्‍फार्मर है , खेत की कटाई से पहले ही ट्रांस्‍फार्मर के चारों तरफ सूखी फसल को काटकर ट्रांस्‍फार्मर के आस पास सफाई करले, ताकि आग फैलने का खतरा कम हो । ट्रेक्‍टर एवं प्‍लाऊ को जोडकर तैयार रखे ताकि आग लगने की स्थिति में फसल के कुछ हिस्से को तुरंत रोंधकर आग फैलने से रोका जा सकें। कटाई के दौरान धूम्रपान न करे, और न ही कोई ज्‍वलनशील पदार्थ ले जायें । यदि कही कोई आग लगती है तो फायर ब्रिगेड और संबंधित अधिकारियों  को सूचित करें ।

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