राज्य कृषि समाचार (State News)

कृषि विभाग की सलाह: किसान धान की फसल में यूरिया का छिड़काव करें, एनपीके का न करें उपयोग

30 अगस्त 2025, भोपाल: कृषि विभाग की सलाह: किसान धान की फसल में यूरिया का छिड़काव करें, एनपीके का न करें उपयोग – मध्यप्रदेश कृषि विभाग के अधिकारियों ने बालाघाट  जिले के किसानों को यह सलाह दी है कि वे धान की खड़ी फसल में नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए यूरिया का छिड़काव करें। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि धान की खड़ी फसल में डीएपी और एनपीके उर्वरक का उपयोग न करें, क्योंकि ये उर्वरक जड़ों तक नहीं पहुंच पाते और इससे फसल को पूरा फायदा नहीं मिलता।

वारासिवनी विकासखंड के विभिन्न गांवों के किसानों ने एनपीके 20:20:00:13 उर्वरक के खेत के पानी में नहीं घुलने और तैरने की शिकायत की। इसके बाद कृषि अधिकारियों ने मौके पर जाकर स्थिति का निरीक्षण किया और उर्वरक के नमूने प्रयोगशाला जांच के लिए भेजे। जांच रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। इस बीच, किसानों को स्थिति के बारे में समझाया गया, और 24 से 48 घंटे में उर्वरक खेत के पानी में घुलने लग गया, जिससे किसान संतुष्ट हो गए।

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यूरिया और अन्य उर्वरकों का सही उपयोग करें किसान

उपसंचालक कृषि फूलसिंह मालवीय ने किसानों को बताया कि धान की फसल में नाइट्रोजन की आवश्यकता पूरी करने के लिए यूरिया का छिड़काव करना चाहिए।  नाइट्रोजन (80-100 कि.ग्रा./हे.) की आधी मात्रा एवं फास्‍फोरस (50-60 कि.ग्रा./हे.) एवं पोटाश 40 कि.ग्रा./हेक्‍टेयर मात्रा खेत की तैयारी के समय देना चाहिए। 

रोपाई के 3 सप्‍ताह बाद (कलले निकलने की अवस्‍था पर) , बूटिंग अवस्‍था पर (रोपाई के 5-6 सप्‍ताह बाद) एवं अंतिम टॉप ड्रेसिंग में 7-8 सप्‍ताह के बाद नाइट्रोजन देना चाहिए।

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डीएपी और एनपीके से बचने की सलाह

कृषि अधिकारियों ने किसानों को चेतावनी दी कि वे खड़ी धान की फसल में डीएपी और एनपीके उर्वरकों का उपयोग न करें, क्योंकि इनमें मौजूद फास्फोरस भूमि की सतह तक ही सीमित रहता है और जड़ों तक नहीं पहुंच पाता। डीएपी और एनपीके महंगे उर्वरक होते हैं और इन पर भारत सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाता है। इसके बजाय, किसान सिंगल सुपर फास्फेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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कृषि विभाग ने यह भी सलाह दी है कि किसान पानी में घुलनशील एनपीके और नैनो डीएपी जैसे तरल उर्वरकों का स्प्रे के रूप में उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही यूरिया और नैनो यूरिया का स्प्रे भी खड़ी फसल में किया जा सकता है।

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