खरीफ फसलों में येलो मोजेक रोग से बचाव के लिए आसान उपाय, कृषि विभाग ने जारी की गाइडलाइन
18 सितम्बर 2025, भोपाल: खरीफ फसलों में येलो मोजेक रोग से बचाव के लिए आसान उपाय, कृषि विभाग ने जारी की गाइडलाइन – मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के उप संचालक केएस खापेडिया ने किसानों से अपने खेतों की सतत निगरानी करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि यदि खेतों में येलो मोजेक रोग या कीटव्याधि नजर आए, तो तुरंत उपचार करके फसलों को नुकसान से बचाना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों जिले में भारी वर्षा के कारण खरीफ फसलों में जलभराव की स्थिति बनी है। इसलिए किसानों को अपने खेतों से पानी की निकासी ठीक से सुनिश्चित करनी चाहिए। साथ ही खेतों की नियमित जांच करते हुए 3-4 जगह के पौधों को हिलाकर कीटों की उपस्थिति का पता लगाना जरूरी है। अगर कीट पाए जाते हैं तो उनके नियंत्रण के लिए उचित कदम उठाएं।
येलो मोजेक और कीटव्याधि नियंत्रण के उपाय
येलो मोजेक रोग से बचाव के लिए उप संचालक ने सलाह दी है कि रोगग्रस्त पौधों को तुरंत खेत से निकालकर नष्ट कर दिया जाए। साथ ही सफेद मक्खी और एफिड जैसे रोग फैलाने वाले कीटों को रोकने के लिए थायमिथोक्सम एवं लैम्बडा सायहेलोथ्रिन या बीटासायफ्लुथ्रिन एवं इमिडाक्लोप्रिड मिश्रित कीटनाशक का छिड़काव करें। तना मक्खी और चक्र भृंग के प्रकोप में भी प्रारंभिक अवस्था में ही कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा, तना मक्खी, चक्र भृंग और पत्ती खाने वाली कीटों के नियंत्रण के लिए विशेष मिश्रित कीटनाशकों का छिड़काव भी प्रभावी होता है।
धान की फसल में बढ़ रहे ब्लास्ट और जीवाणु झुलसा रोग से बचाव के लिए कार्वन्डेजिम और कापर आक्सी क्लोराइड का छिड़काव आवश्यक है। सोयाबीन में फफूंद जनित रोग एन्थ्रेक्नोज और रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर टेबुकोनाजोल या पायरोक्लोस्ट्रोबीन का छिड़काव करना चाहिए। किसानों को सलाह दी जाती है कि कीटनाशक या खरपतवारनाशक छिड़काव के लिए उचित मात्रा में पानी का उपयोग करें और किसी भी खरीद पर दुकानदार से पक्का बिल लें, जिसमें बैच नंबर और एक्सपायरी डेट स्पष्ट हो।
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