राज्य कृषि समाचार (State News)पशुपालन (Animal Husbandry)

कृषि एवं पशुपालन प्रशिक्षण एवं व्यावहारिक ज्ञान के संगम से ही संभव है- मंत्री श्री चौहान

12 फ़रवरी 2025, अलीराजपुर: कृषि एवं पशुपालन प्रशिक्षण एवं व्यावहारिक ज्ञान के संगम से ही संभव है- मंत्री श्री चौहान – कृषि विज्ञान केन्‍द्र अलीराजपुर में पशु पालन एवं पशु कल्‍याण जागरूकता माह के अंतर्गत कैबिनेट मंत्री श्री नागरसिंह चौहान एवं कलेक्‍टर डॉ अभय अरविंद बेडेकर की विशेष उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें विभागीय अधिकारियों के अलावा बड़ी संख्या में किसान मौजूद थे।

कैबिनेट मंत्री श्री चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि कृषि एवं पशुपालन के लिए किताबी ज्ञान के साथ साथ व्यवहारिक ज्ञान की आवश्यकता होती है । उन्होंने कहा कि जिले में धीरे धीरे पशुपालन एवं  दुग्ध  उत्पादन के क्षेत्र में कृषकों का रुझान बढ़ा है । कृषि के साथ पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की  नींव  है । लाभ की खेती के लिए जिले में सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने  के प्रयास पिछले 20 वर्षो में किए गए है । इन वर्षो में 44 हजार से अधिक कपिल धारा  कुएं , सैकड़ों  तालाब के साथ नर्मदा मैया का जल प्रत्येक ग्राम तक पहुंचाने की योजना बनाई गई है, ताकि अधिक से अधिक कृषि भूमि सिंचित हो एवं कृषक रबी एवं खरीफ के साथ फल उत्पादन जैसी अन्य फसल भी ले सके।  श्री चौहान ने कहा कि पशु पालन के लिए शासन द्वारा 40 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है । जिले में कपास की खरीदी को संस्थागत रूप देने के लिए जोबट में प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है । उन्होंने कहा कि जिला आम , तरबूज जैसी फसल भी अधिक मात्रा में उपजा रहा है ,जो कि सिंचाई के साधन की सार्वभौमिकता का द्योतक है । उन्होंने सभी पशु पालन अधिकारियों को निर्देशित किया कि अधिक से अधिक फील्ड भ्रमण करें । शासन की योजनाओं का प्रचार प्रसार के साथ उन योजनाओं को साकार रूप देने के लिए कार्य करें । उन्होंने कहा कि कृषि एवं पशुपालन प्रशिक्षण एवं व्यावहारिक ज्ञान के संगम से ही संभव है ।

कलेक्‍टर डॉ बेडेकर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्‍यप्रदेश मूलरूप से कृषि प्रधान प्रदेश है एवं कृषि की कल्‍पना पशु पालन के बिना संभव नहीं है । पशु पालन विभाग द्वारा पशु पालन को आसान बनाने के लिए पशु चिकित्‍सा एवं आर्थिक लाभ जैसे  आयामों के माध्‍यम से कार्य किया जाता है ।  उन्होंने  कहा कि यह जागरूकता जरूरी है कि  पशु  पालन ईको सिस्‍टम के साथ इकोनोमी की रीढ़ है  उन्होंने  सभी उपस्थित कृषकों से अपील की कि जिले में  गेहूं उपार्जन के लिए पंजीकरण का कार्य किया जा रहा है । सभी कृषक अपना पंजीकरण करवाए ताकि उपार्जन अधिक से अधिक मात्रा में हो सके। इस दौरान बकरी पालन के क्षेत्र में प्राप्‍त हुई सफलता के बारे में जोबट के कृषक श्री प्रदीप सिंह राठौड ने अपना अनुभव साझा किया । साथ ही पशुपालक एवं गौशाला संचालक श्री राजेन्द्र टवली ने गौ सेवा एवं पशुपालन के महत्व पर प्रकाश डाला । उपसंचालक कृषि श्री सज्‍जनसिंह चौहान एवं उपसंचालक पशु पालन विभाग श्री गुलाबसिंह सोलंकी एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ यादव ने अपने अपने विभाग की जानकारी साझा की । इस दौरान  बड़ी  संख्‍या में कृषक एवं विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे ।

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