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कृषि विश्वविद्यालय ने सी.जी. लाल भाजी-1 और सी.जी. चौलाई-1 किस्में विकसित की

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कृषि विश्वविद्यालय ने सी.जी. लाल भाजी-1 और सी.जी. चौलाई-1 किस्में विकसित की

27 जुलाई 2020, रायपुर। कृषि विश्वविद्यालय ने सी.जी. लाल भाजी -1 और सी.जी. चौलाई-1 किस्में विकसित की छत्तीसगढ़ के किसानों की बाडिय़ों में अब इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा विकसित लाल भाजी और चैलाई भाजी की नवीन उन्नत किस्में उगाई जाएंगी। विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने लाल भाजी की नवीन किस्म सी.जी. लाल भाजी-1 और चैलाई की नवीन किस्म सी.जी. चैलाई-1 विकसित की हैं जो इन भाजियों की प्रचलित उन्नत किस्मों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज देने में सक्षम हैं।

ये नवीन किस्में छत्तीसगढ़ के विभिन्न हिस्सों से इन भाजियों की जैव विविधता के संकलन तथा उन्नतिकरण द्वारा तैयार की गई हैं जो स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त हैं। इन दोनों किस्मों से किसान केवल एक माह की अवधि में 60 से 70 हजार रूपए प्रति एकड़ की आय प्राप्त कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य बीज उप समिति द्वारा इन दोनों किस्मों को छत्तीसगढ़ राज्य के लिए जारी करने की अनुशंसा की गई है। छत्तीसगढ़ में भाजियों में भी लाल भाजी और चौलाई सर्वाधिक लोकप्रिय हैं।

कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में विगत दिनों आयोजित बीज उप समिति की बैठक में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की नवीन प्रजातियों को छत्तीसगढ़ राज्य में प्रसारित करने की मंजूरी दी गई। इन नवीन किस्मों में लाल भाजी की किस्म सी.जी. लाल भाजी-1 और चौलाई की किस्म सी.जी. चौलाई-1 प्रमुख रूप से शामिल हैं। सी.जी. लाल भाजी-1 छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक उपज देने वाली लाल भाजी की किस्म है जो अरका अरूणिमा की तुलना में 43 प्रतिशत तक अधिक उपज दे सकती है। यह कम रेशे वाली स्वादिष्ट किस्म है जो तेजी से बढ़ती है तथा जिसका तना एवं पत्तियां लाल होती है। यह किस्म सफेद ब्रिस्टल बीमारी हेतु प्रतिरोधक है। यह एकल कटाई वाली किस्म है। यह किस्म स्थानीय परिस्थितियों में 140 क्विंटल प्रति एकड़ तक उत्पादन देती है।

सी.जी. चौलाई-1 अधिक उत्पादन देने वाली नवीन किस्म है जो अरका अरूषिमा की तुलना में 56 प्रतिशत तथा अरका सगुना की तुलना में 21 प्रतिशत तक अधिक उपज दे सकती है। यह किस्म स्थानीय परिस्थितियों में 150 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज दे सकती है। यह किस्म सफेद ब्रिस्टल बीमारी हेतु प्रतिरोधक है। यह भी एकल कटाई वाली किस्म है। यह किस्में तेजी से बढऩे के कारण खरपतवार से प्रभावित नहीं होती और अंतरवर्तीय फसल हेतु उपयुक्त है। भाजी की इन दोनों नवीन विकसित किस्मों को छत्तीसगढ़ के बाड़ी कार्यक्रम एवं पोषण वाटिका कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

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