राज्य कृषि समाचार (State News)

टॉप 100 में भी नहीं मध्य प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय

27 अगस्त 2024, (विशेष प्रतिनिधि) भोपाल: टॉप 100 में भी नहीं मध्य प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालय – वर्ष 2024 के नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.आई.आर.एफ.) में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों की श्रेणी में मध्य प्रदेश के नामचीन जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर और ग्वालियर के राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय टॉप 100 में भी स्थान नहीं बना पाए हैं। ये आश्चर्यजनक तो नहीं है पर दुर्भाग्यपूर्ण है। कृषि विश्वविद्यालयों के इस स्थिति में पहुंचने के बाद भी राज्य शासन को इसके उन्नयन की कोई परवाह नहीं है। प्रदेश सरकार की अनदेखी से राज्य में कृषि शिक्षा, कृषि विकास, कृषि अनुसंधान केवल जुबानी जमा खर्च एवं कागज पर रह गए हैं। 60 वर्ष पूर्व स्थापित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय एवं 16 वर्ष पूर्व स्थापित राजमाता सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय आज अपनी हालत पर रो रहे हैं। वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने कृषि शिक्षा के क्षेत्र में एक बार फिर कामयाबी का परचम फहराते हुए उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग हेतु नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एन.आई.आर.एफ.) द्वारा जारी टॉप 50 संस्थानों में 39वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह उपलब्धि इसलिए भी विशेष है कि मध्यप्रदेश एवं राजस्थान जैसे बड़े एवं विकसित राज्यों से किसी भी कृषि विश्वविद्यालय को एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग में जगह नहीं मिली है। ये स्थिति और भी शोचनीय तब हो जाती है जब आप देखते हैं कि मध्य प्रदेश के किसान पुत्र लगभग 18 वर्ष मुख्यमंत्री रहे श्री शिवराज सिंह चौहान अब केंद्र में भी कृषि मंत्री हैं और इन्ही कृषि कॉलेज, विश्वविद्यालय से निकले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री वीडी शर्मा भी हैं। उम्मीद है इन कृषि विश्वविद्यालयों की बेहाली पर गंभीर चिंतन और ठोस कार्यवाही सरकार करेगी।

मध्य प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में गिरावट चिंताजनक है। राज्य सरकार को कृषि शिक्षा, अनुसंधान और विकास पर ध्यान देना चाहिए। कृषि विश्वविद्यालयों को मजबूत करने से किसानों की आर्थिक प्रगति और प्रदेश के विकास में मदद मिलेगी। सरकार को शिक्षकों की कमी, संसाधनों की कमी, और फंड की अनियमितता जैसी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। साथ ही, कृषि अनुसंधान और विकास पर ध्यान देना चाहिए ताकि किसानों को नई तकनीक और ज्ञान मिल सके।

एन.आई.आर.एफ रैंकिंग का नौवां संस्करण गत 12 अगस्त 2024 को भारत मंडपम में घोषित किया गया था। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किए गए। पिछले कुछ वर्षों में इन रैंकिंग में उच्च शिक्षा संस्थानों की भागीदारी में वृद्धि हुई है। 2016 में जहां 3,565 संस्थानों ने भाग लिया था, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 10,845 हो गई है। इसके साथ ही, 2016 में चार श्रेणियों और विषयों का आकलन किया गया था, जबकि 2024 में यह बढ़कर सोलह हो गया है।

उल्लेखनीय है कि जनेकृविवि के अंतर्गत 8 कृषि महाविद्यालय, 2 उद्यानिकी कॉलेज, 1 एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कॉलेज संचालित है। इसी के साथ ही 9 कृषि अनुसंधान केन्द्र, 22 कृषि विज्ञान केन्द्र भी हैं। वहीं वर्ष 2008 से प्रारंभ हुए राजमाता सिंधिया कृषि वि.वि. के तहत 4 कृषि महाविद्यालय, 1 उद्यानिकी महाविद्यालय, 3 आंचलिक कृषि अनुसंधान एवं 4 क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केन्द्र, 1 फल अनुसंधान केन्द्र तथा 1-1 उद्यानिकी, मृदा, तिल अनुसंधान केन्द्रों सहित 22 कृषि विज्ञान केन्द्र कार्यरत हैं। प्रदेश का आर्थिक विकास विशेषकर कृषकों की समृद्धि से जुड़ा है।

कृषकों की आर्थिक प्रगति कृषि शिक्षा, अनुसंधान कृषि की उन्नत तकनीक पर निर्भर है। प्रदेश में कृषि शिक्षा व अनुसंधान प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों क्रमशः ज.ने.कृ.वि.वि जबलपुर एवं राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि वि.वि. ग्वालियर पर निर्भर है लेकिन चिंता का विषय है कि दोनों कृषि वि.वि. की रैंकिंग राष्ट्रीय स्तर पर इस वर्ष गिर गई है।

सूत्रों के मुताबिक शिक्षकों की कमी, संसाधनों का अभाव, फंड की अनियमितता एवं उचित तकनीक से कार्यप्रणाली का क्रियान्वयन एवं अनुसंधान न होना रैंकिंग में पिछड़ने का मुख्य कारण है। कृषि वि.वि. में कुछ केन्द्र एवं राज्य शासन की कृषि की अनुसंधान योजनाएं हैं, इन परियोजनाओं में तकनीकी व गैर तकनीकी पद खाली पड़े हुए हैं और सरकार से पद भरने की मंजूरी नहीं मिल रही है। वहीं केन्द्र शासन की 100 प्रतिशत वित्त पोषित योजनाओं में भी खाली पड़े पद भरने की स्वीकृति मांगी गई किन्तु शासन से स्वीकृति नहीं मिलने से कृषि अनुसंधान व कृषि प्रसार का कार्य पिछड़ जाता है व रेंक में असर पड़ता है।

प्रदेश के दोनों कृषि विश्वविद्यालयों को एन.आई.आर.एफ. रैंकिंग हेतु निर्धारित मापदण्डों जैसे अधोसंरचना विकास (महाविद्यालय भवन, छात्रावास, लाईब्रेरी, सभागृह आदि) छात्र सुविधाएं, छात्र शिक्षक अनुपात, अनुसंधान कार्य, शोध पत्र प्रकाशन, पेटेन्ट, नवाचार, उद्यमिता विकास आदि सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करना होगा तथा समय के साथ- साथ राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग के बढ़ते पैमानों के अनुरूप दोनों वि.वि. को सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ना होगा, तभी रैंकिंग की सूची में नाम आ पाएगा।

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