कृषि आदान जांच प्रयोगशालाएं बनीं कठपुतली
27 अप्रैल 2023, इंदौर: कृषि आदान जांच प्रयोगशालाएं बनीं कठपुतली – सत्ता के दलालों की दादागिरी वाली खबर की स्याही अभी सूख भी नहीं पाई थी कि अब कृषि आदान विक्रेताओं से लिए गए खाद, बीज और कीटनाशकों के नमूनों की जांच करने वाली प्रयोगशालाएं संदेह के घेरे में आ गई हैं। इन सबसे प्रदेश का किसान भ्रमित हो रहा है कि वह शासन के गुणवत्ता नियंत्रण पर भरोसा करे या कृषि आदान कम्पनियों की गुडविल पर विश्वास करे। सूत्रों के अनुसार ये जांच प्रयोगशालाएं प्रत्यक्ष सत्ता के अदृश्य हाथों की कठपुतली बन गई है। जैसा वे नचाते हैं, वैसे ये नाचती हैं। इस चुनावी वर्ष में कठपुतलीबाज अपनी उंगलियों के इशारों पर इन्हें बेखौफ चला रहे हैं, जिससे वास्तविक जांचें प्रभावित हो रही हैं। शुभ-लाभ की प्रत्याशा में इन प्रयोगशालाओं के नतीजों में मनचाहा परिवर्तन करने को बाध्य किया जा रहा है।
प्रयोगशालाओं के नतीजे प्रभावित – उल्लेखनीय है कि कृषि आदान विक्रेताओं द्वारा बेचे जाने वाले बीज, उर्वरक और कीटनाशकों के नमूने कृषि विभाग द्वारा एकत्रित किए जाते हैं। कहा जा रहा है कि इन नमूनों को सेटिंग करके पास/ फेल कराया जाता है। इसके लिए डीलर पॉइंट से लेकर रैक पॉइंट तक शुभ-लाभ की इच्छुक लॉबी सक्रिय हो जाती है और नमूनों की जांच को प्रयोगशालाओं में दबावपूर्वक प्रभावित किया जाता है। व्यापारिक सूत्रों के अनुसार सरकारी जांचकर्ताओं को मन वांछित नतीजे नहीं देने पर स्थानांतरण की धमकी दी जाती है। इस कारण संबंधितों को न चाहते हुए भी मजबूरन वो कार्य करना पड़ता है। मिसाल के तौर पर जायद मूंग की फसल को लें, जो तपती गर्मी में 65 दिन में पककर तैयार हो जाती है, उसका अंकुरण परीक्षण भी फेल कराया जाता है ताकि बीज कंपनियों पर दबाव पड़े। कुछ इसी तरह का खेल उर्वरक विक्रेताओं की जांच में भी खेला जाता है। बीज व्यापारियों को घुटने पर लाने के लिए लॉट अनुसार नमूने लिए जा रहे हैं। प्रदेश की बीज, उर्वरक गुण नियंत्रण और कीटनाशक प्रयोगशालाओं में नमूना भेजने की गोपनीयता मात्र एक दिखावा है। कठपुतलीबाज जावक शाखा से सब पता कर लेते हैं कि संबंधित नमूना किस प्रयोगशाला को भेजा जा रहा है। ऐसे में बार कोडिंग भी बेअसर हो रही है।
नमूनों की कीमत का भुगतान लंबित
इस प्रक्रिया में एक विशेष बात की ओर ध्यान आकर्षण कराना जरूरी है कि कृषि विभाग द्वारा जिन दुकानों से कृषि आदान का नमूना एकत्रित किया जाता है, उस दुकानदार को कृषि विभाग द्वारा उक्त नमूने की कीमत का भुगतान करने का प्रावधान है, परन्तु जांच के भय से विक्रेता नमूने के लिए दी गई अपनी सामग्री का मूल्य मांगने की हिम्मत नहीं कर पाता है और सरकारी कर्मचारी भी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। कई मामलों में नमूनों की कीमत का भुगतान लंबित है।
हाल ही में सिविल सर्विसेज-डे के अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि सुशासन के क्षेत्र में निरंतर कार्य हुआ है। वहीं कृषि आदान प्रयोगशालाओं में दुशासन बैठे हैं जो मुख्यमंत्री के सपनों का चीरहरण कर रहे हैं। कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि तीन साल के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में सपनों को सच करने वाले अभूतपूर्व कार्य हुए हैं। परन्तु दूसरी ओर इन्हीं सपनों को माटी में मिलाने का काम कर रही है कुछ कठपुतलियां।
शिवराज सरकार को कृषि आदान नमूनों की जांच प्रणाली को अधिक पारदर्शी बनाते हुए किसान को भरोसा दिलाना होगा कि उस तक गुणवत्तापूर्ण कृषि आदान ही पहुंच रहे हैं।
कृषि विभाग की जाँच प्रयोगशालाएं
आदान का नाम | प्रयोगशालाओं की संख्या | प्रयोगशालाओं का स्थान |
बीज | 9 | भोपाल , इंदौर , जबलपुर , ग्वालियर , उज्जैन , सागर , नर्मदापुरम , रीवा , शहडोल (मुरैना में प्रक्रियाधीन) |
उर्वरक | 6 | भोपाल , इंदौर , जबलपुर , ग्वालियर , उज्जैन , सागर , |
कीटनाशक | 1 | जबलपुर |
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