राज्य कृषि समाचार (State News)

उज्जैन जिले में सल विविधीकरण की अनोखी मिसाल

30 अगस्त 2025, उज्जैन: उज्जैन जिले में सल विविधीकरण की अनोखी मिसाल – भारतीय कृषि पद्धति वर्तमान में विविधता के दौर से गुजर रही है, जहां पारंपरिक व आधुनिक कृषि के मिश्रण से कृषक नई नीतियों को अपनाकर अपनी आय बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी क्रम में जिले के ग्राम हरसोदन के प्रगतिशील कृषक श्री कमल पाटीदार ने फसल विविधीकरण की अनोखी मिसाल पेश की है , श्री पाटीदार ने कहा कि पहले वे संपूर्ण भूमि पर सोयाबीन की खेती करते थे। जिसमें उन्हें प्रत्येक वर्ष किसी न किसी कारण फसल में नुकसान हो जाता था तथा आमदनी भी सीमित ही रहती थी। कृषि विभाग के संपर्क में आने पर उन्होंने तरह-तरह की फसलें बोना शुरू किया तथा अब उन्हें बहुत अधिक लाभ प्राप्त हो रहा है।

श्री पाटीदार ने अपने तीन हेक्टेयर क्षेत्र से फसल विविधीकरण की शुरुआत की । इसमें श्री पाटीदार ने एक हेक्टेयर क्षेत्र में मूंगफली, 0.5 हेक्टेयर क्षेत्र में स्वीट कॉर्न, 0.5 हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग तथा एक हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की फसल लगाई है।श्री कमल पाटीदार का कहना है कि, स्वीट कॉर्न के भुट्टे की तुड़ाई बुवाई के 70 से 80 दिन बाद की जा सकती है। कृषक द्वारा भुट्टे की तुड़ाई के पश्चात फसल अवशेष का उपयोग साइलेज व पशु आहार के रूप में भी किया जाता है। उनके द्वारा मूंगफली की फसल रिज फ़रो (कुंड) विधि से लगाई गई है। जिससे अच्छा वायु संचार, पेगिंग और हार्वेस्टिंग में आसानी रहे तथा अधिकतम लाभ व उपज प्राप्त हो सके।

इस संदर्भ में उप संचालक कृषि ने जानकारी दी कि कृषि की जोखिम को कम करने एवं उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए फसल विविधीकरण एक प्रभावी तरीका है। स्वीट कॉर्न अपने अनोखे स्वाद और मिठास के लिए दुनिया भर में लोकप्रिय है । इसकी अधिक कीमत तथा बढ़ती मांग निश्चित ही किसानों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मालवा प्रांत में प्राचीन समय में मूंगफली की खेती हुआ करती थी। परंतु वर्तमान समय में सोयाबीन की बुवाई बहुत अधिक मात्रा में की जाती है। वर्तमान परिदृश्य में फसल की जोखिम को कम करते हुए तथा तिलहन उत्पादन को प्रभावित किए बिना सोयाबीन के स्थान पर मूंगफली की फसल काफी प्रभावी हो रही है।

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