राज्य कृषि समाचार (State News)

पांढुर्ना जिले में 98 % बुआई का कार्य पूर्ण, फसलों का औसत रकबा घटा

09 जुलाई 2024, (उमेश खोड़े, पांढुर्ना): पांढुर्ना जिले में 98 % बुआई का कार्य पूर्ण, फसलों का औसत रकबा घटा – इस साल के में पांढुर्ना  जिले में 98 % बुआई का कार्य पूर्ण हो चुका है। बुआई के आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ फसलों में जहाँ गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष रकबा घटा है, वहीं कुछ फसलों का रकबा बढ़ा भी है। कपास, ज्वार, मूंग, उड़द और मूंगफली  का रकबा जहाँ घटा है , वहीं मक्का, धान , अरहर और सोयाबीन का रकबा बढ़ा है। इस वर्ष बुवाई का औसत रकबा घटा है।  

इस संबंध में श्री सुनील गजभिए , वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी ,ब्लॉक पांढुर्ना ने खरीफ वर्ष 2024 -25  के जिले की बोनी के आंकड़ों की जानकारी देते हुए बताया कि गत वर्ष जिले में कपास का रकबा 53500 हेक्टेयर था , जबकि इस साल  50000  हेक्टेयर में कपास की बोनी की गई है। गत वर्ष मक्का 12600 हेक्टेयर में बोई गई थी।  जबकि  इस साल 14100 हेक्टेयर में मक्का बोई गई है। इस साल मक्का का रकबा बढ़ा है। गत वर्ष ज्वार की 1550 हेक्टेयर में बुआई हुई थी ,जबकि इस साल 1330 हेक्टेयर में ज्वार बोई गई है। इस वर्ष ज्वार का रकबा घटा है। इसी तरह गत वर्ष धान 1010 हेक्टेयर में बोया गया था, जबकि इस साल 1012 हेक्टेयर में धान की बुआई हुई है। इसके रकबे में मामूली वृद्धि हुई है।

Advertisement
Advertisement

गत वर्ष अरहर की 12800 हेक्टेयर में बोनी हुई थी, जबकि इस साल 13800 हेक्टेयर में अरहर बोई गई है। इस वर्ष अरहर का रकबा बढ़ा है। मूंग पिछले साल 250 हेक्टेयर में बोया गया था , इस साल मूंग की 202 हेक्टेयर में बोनी हुई है। इस वर्ष मूंग का रकबा घटा है। इसी तरह उड़द जो गत वर्ष 250 हेक्टेयर में बोई गई थी, वह इस वर्ष 198 हेक्टेयर में ही बोई गई है। इस खरीफ में उड़द का रकबा कम हुआ है। अन्य फसल गत वर्ष  55 हेक्टेयर में बोई गई  थी , जो इस वर्ष घटकर 50 हेक्टेयर में सिमट गई है। गत वर्ष सोयाबीन 3500 हेक्टेयर में बोई गई थी , लेकिन इस वर्ष  4138  हेक्टेयर में बोई गई है। इस वर्ष सोयाबीन का रकबा बढ़ा है, लेकिन मूंगफली , जो पिछले साल 5100 हेक्टेयर में बोई गई थी, वह इस वर्ष 4630  हेक्टेयर में ही बोई गई है। इस वर्ष मूंगफली का रकबा भी घटा है। इसी तरह तिल जो गत वर्ष 120  हेक्टेयर में बोई गई थी, वह इस वर्ष मात्र 38 हेक्टेयर में ही बोई गई है। अरंडी  गत वर्ष 35 हेक्टेयर में बोई गई थी , जिसकी इस साल मात्र 4.500  हेक्टेयर में बुआई की गई है।

यदि जिले की कुल  बुआई की बात करें तो गत वर्ष तिलहन फसलें 8820 हेक्टेयर में बोई गई थी , जो इस वर्ष 8810  हेक्टेयर में बोई गई है। तिलहन फसल का रकबा घटा है। अनाज फसलें गत वर्ष कुल 68660 हेक्टेयर में बोई गई थी , जो इस वर्ष कुल  66442  हेक्टेयर में  बोई गई  है। अनाज फसलों का रकबा भी घटा है।  इसी तरह गत वर्ष दलहन फसलें कुल 13355 हेक्टेयर में बोई गई थी, जो इस वर्ष कुल 14250  हेक्टेयर में बोई गई है। इस वर्ष दलहन फसलों का रकबा बढ़ा है। सभी फसलों के  गत वर्ष के कुल रकबा  योग जहाँ 91270  हेक्टेयर था ,  वहीं  खरीफ वर्ष 2024 -25 में कुल रकबा 90412 हेक्टेयर है। इस तरह जिले में कुल रकबे में 858 हेक्टेयर की कमी हुई है।

Advertisement8
Advertisement

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement