राज्य कृषि समाचार (State News)

भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर का 37वां स्थापना दिवस संपन्न

11 दिसम्बर 2023, इंदौर: भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर का 37वां स्थापना दिवस संपन्न – भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने गत दिनों अपना 37 वां स्थापना दिवस डॉ संजय कुमार, अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया।  विशिष्ट अतिथि संस्थान के भूतपूर्व निदेशक डॉ वी. एस. भाटिया  थे। इस मौके पर  संस्थान के निदेशक डॉ के. एच. सिंह और आयोजन सचिव एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ बी.यू. दुपारे मौजूद थे।  

नवीनतम  तकनीक अपनाएं – डॉ संजय कुमार ने कहा कि सोयाबीन  की  फसल में शहद उत्पादन हेतु मधुमख्खी पालन, सोयाबीन से बने पदार्थों में मटन फ्लैवर युक्त खाद्य पदार्थ बनाना, सोयाबीन प्रजातियों में तेल की मात्रा में वृद्धि करने के लिए संस्थान को प्रयास करने चाहिए। नवीनतम तकनीक अपनाकर सोयाबीन से चीज बनाकर पिज्जा बर्गर में भी उपयोग किया जा सकता है। डॉ कुमार ने आधुनिक भारतीय खेती में  ड्रोन की बढ़ती संभावना को देखते हुए विपरीत मौसम में खरपतवार प्रबंधन, कीट रोग नियंत्रण हेतु अत्यंत उपयुक्त होगी। शिक्षित युवाओं द्वारा खेती  में  स्टार्ट अप प्रारंभ करने से  ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार की संभावना बढ़ेगी। आपने आधुनिक तकनीकी रिमोट सेंसिंग, सेंसर बेस्ड, इमेजिंग बेस्ड  तकनीकी  का उपयोग सोयाबीन  में करने का सुझाव दिया ,जिससे गांव के बच्चे स्टार्टअप के माध्यम से अन्य लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकेंगे। इसके साथ – साथ वर्टिकल फ़ार्मिंग, हाइड्रोफोनिक, एरोफोनिक आधुनिक तकनीकी का सोयाबीन की किस्मों के निर्माण में कार्य किया जा सकता है, जिससे कृषि का स्वरूप भी बदला जा सकेगा। साथ ही सोयाबीन में म्युटेशन ब्रीडिंग का प्रयोग कर कुछ वर्षों में सोयाबीन की नवीन किस्में विकसित की जा सकती है । वहीं डॉ भाटिया ने संस्थान केवैज्ञानिकों,अनुसंधानकर्ताओं तथा कृषकों के सामूहिक प्रयासों से सोयाबीन की उत्पादन क्षमता को और बढ़ाने का आव्हान किया ।

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उपलब्धि  प्रतिवेदन – निदेशक डॉ सिंह ने संस्थान की उपलब्धियों की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि विगत वर्ष पूरे भारतवर्ष के लिए अखिल भारतीय समन्वित सोयाबीन अनुसंधान परियोजना के माध्यम से सात किस्मों का विकास किया गया है, जिसमें संस्थान की 3 किस्में जे. एस.  22-12, जे. एस. 22-16 और  आर.एस.सी. 1135 शामिल हैं।  कम समयावधि वाली एन.आर. सी. 181, एन.आर.सी. 165 एवं वेजिटेबल किस्म एन.आर.सी. 188 का समावेश है | ट्रेडिशनल फूड को बढ़ावा देकर उद्यमशीलता विकसित की जा सकती है | सोयाबीन फूड की रेसिपी विकसित कर रेडी टू इट  हेल्दी फूड सुलभता से उपलब्ध करवाया जा सकेगा ।

प्रकाशनों का विमोचन एवं सम्मान –  संस्थान के वैज्ञानिकों के कृषक उपयोगी प्रकाशनों का विमोचन किया गया  जिसमें विस्तार “सोयाबीन की आधुनिक खेती” पर विस्तार बुलेटिन, राजभाषा पत्रिका “सोया वृत्तिका”, तकनीकी बुलेटिन “सोयाबीन कृषकों के लिए सलाह”, सोया खाद्य उपयोग कर तकनीकी बुलेटिन “सोया प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन व उपोत्पादन उपयोगी विभिन्न तकनीक” शामिल हैं। इस मौके पर मुख्य अतिथि ने संस्थान में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया। सर्वोत्तम कार्य हेतु वैज्ञानिक वर्ग में डॉ शिवकुमार, तकनीकी वर्ग में डॉ निखिलेश पण्ड्या तथा कुशल सहायक श्रेणी में श्रीमती सागर बाई को पुरस्कृत किया गया. साथ ही संस्थान परिसर की स्वच्छता में टीम वर्क का पुरस्कार श्री श्याम किशोर वर्मा ने जबकि प्रशासकीय कार्य में शत प्रतिशत बजट उपयोग हेतु श्री सौरभ मीना ने पुरस्कार प्राप्त किया। इसी तरह सोयाबीन प्रजातियों का विकास करने वाले प्रजनक वैज्ञानिक डॉ अनीता रानी एवं डॉ विनीत कुमार को एनआरसी 150 एवं एनआरसी 152 , जबकि डॉ संजय गुप्ता, डॉ ज्ञानेश सातपुते, डॉ शिवकुमार, डॉ नटराज, डॉ वंगाला राजेश को सोयाबीन  किस्में  एनआरसी 130, एनआरसी 131 एवं एनआरसी 157 के विकास हेतु प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया गया। वहीं सोयाबीन फसल की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले संस्थान के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक डॉ हुसैन, डॉ अंसारी, डॉ बिल्लौरे एवं तकनीकी कर्मचारी डॉ योगेन्द्र मोहन, डॉ सुरेंद्र कुमार तथा जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले श्री अजय कुमार, श्री शक्ति पाल सिंह, श्री निर्भय सिंह को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री सलोनी मंडलोई ने किया। आभार प्रदर्शन प्रधान वैज्ञानिक एवं आयोजन सचिव डॉ बी. यू. दुपारे ने किया।

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