‘कृषि क्षेत्र में महिलाओं की महती भूमिका’
लेखक: श्रीमती कल्पना पटेल
20 नवंबर 2024, नई दिल्ली: ‘कृषि क्षेत्र में महिलाओं की महती भूमिका’ – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता।
प्राचीन काल से ही भारत कृषि प्रधान देश है। भारत की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है और भारतीय अर्थव्यवस्था के इस मजबूत आधार में महिलाओं की महती भूमिका है। महिलाएं राष्ट्रीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हम जब भी कभी कामकाजी महिलाओं की बात करते हैं, तो हमारे मन में टेंपो, बसों में, कारों में और ट्रेनों में हर रोज दफ्तर जाने वाली महिलाओं की छवि अपने आप उभर आती है। लेकिन हम यह नहीं जानते कि देश में हर रोज खेतों में कितनी संख्या में महिला किसान काम करती हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती हैं। क्योंकि खेती के अनेक कार्यों की जिम्मेदारी से लेकर गृहकार्य की पूरी जिम्मेदारी उन पर ही होती है। कृषि क्षेत्र के कार्य बल में महिलाओं की महती भूमिका है। जिस पर मैं सभी का ध्यान ले जाना चाहती हूं। हमारे देश में कामकाजी महिलाओं के साथ किसान महिला भी उतनी ही मेहनत करती हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था की मुख्य आधार हैं। हमें उनके बारे में विचार करना चाहिए।
कृषि उत्पादन में महिलाओं की प्रत्यक्ष योगदान एवं सक्रिय भागीदारी के परिणाम स्वरुप भारत अनेक प्रकार के फल, सब्जी, अनाज के मामले में महत्वपूर्ण उत्पादक देश बन गया है। पहले के समय में महिलाएं घर के काम तक ही सीमित थीं। परंतु गत दशकों से कृषि कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है। विकासशील देशों में कृषि कार्यों में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कृषि उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका होते हुए भी उन्हें बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। कृषि कार्यों में लगीं महिलाओं की अपनी अलग पहचान नहीं होती क्योंकि अर्थव्यवस्था की बागडोर ज्यादातर पुरुषों के पास रहती है । कभी-कभी तो महिलाओं के पास खेती पर मालिकाना हक भी नहीं है। उनकी अशिक्षा, अनभिज्ञता, उदासीनता और अंधविश्वास रास्ते के रोड़े साबित होते हैं। और अभी भी महिलाओं को खेतिहर श्रमिक या पुरुष सहायक ही समझा जाता है। अधिकांशत: महिलाओं को खेती के लिए उचित प्रशिक्षण नहीं मिलता और न ही बेहतर फसल होने पर उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा देश तथा अन्य देशों में कृषि महिलाओं को पुरुष की अपेक्षा मेहनताना भी बहुत कम मिलता है।
अत: कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिये नवीनीकरण और नई टेक्नोलॉजी का प्रशिक्षण महिलाओं को भी दिया जाना चाहिए। महिलाओं की कृषि कार्य कुशलता और उनकी कृषि औजारों की दक्षता बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए, क्योंकि कृषि, भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है। और काफी मात्रा में किसान महिलाएं हमारे देश की अर्थव्यवस्था संभालने में सहयोगी हैं। राष्ट्र के विकास के लिए कृषि कार्य में जुड़ी ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान दिया जाना बहुत जरुरी है, जिससे भारत एक मजबूत, सशक्त और विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर हो।
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