राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बढ़ती लागत और जलवायु संकट के बीच खेती के लिए कैसा होगा बजट 2025?

13 जनवरी 2025, नई दिल्ली: बढ़ती लागत और जलवायु संकट के बीच खेती के लिए कैसा होगा बजट 2025? – बजट 2025 ऐसे समय में पेश होगा जब पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान सालभर से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बजट से सभी की नजरें इस बात पर होंगी कि सरकार किस तरह किसानों की समस्याओं को हल करने का प्रयास करती है। खेती, जो लगातार महंगी होती जा रही है, छोटे किसानों के लिए घाटे का सौदा बनती जा रही है। ऊपर से जलवायु परिवर्तन और अनिश्चित मौसम ने कृषि को और जोखिमभरा बना दिया है। नतीजतन, खेती से मिलने वाली आय बेहद कम होती है।

किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, किसानों ने पीएम-किसान योजना के तहत मिलने वाली सहायता राशि को दोगुना करने, सस्ता दीर्घकालिक कर्ज, और कृषि इनपुट्स पर जीएसटी हटाने की मांग की है। वित्त मंत्रालय और कृषि मंत्रालय ने बजट से पहले किसानों और राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ चर्चा की है, ताकि किसानों की समस्याओं और उनके समाधान पर विचार किया जा सके।

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MSP पर कानूनी गारंटी मुश्किललेकिन आय बढ़ाने पर जोर

बजट 2025 में MSP की कानूनी गारंटी मिलने की संभावना कम है, क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ेगा और महंगाई बढ़ सकती है। हालांकि, सरकार किसानों की आय बढ़ाने और कृषि को जलवायु के प्रति अधिक सहनशील बनाने के उपायों की घोषणा कर सकती है।

एक बड़ी समस्या यह है कि किसान जो मूल्य अपनी उपज के लिए पाते हैं, और उपभोक्ता जो कीमत चुकाते हैं, उसमें बड़ा अंतर है। उदाहरण के तौर पर, फलों और सब्जियों के मामले में किसानों को उपभोक्ता मूल्य का सिर्फ एक-तिहाई हिस्सा मिलता है। वहीं, दूध के मामले में यह हिस्सा 75-80% तक होता है, जो सहकारी आंदोलन और निजी डेयरी कंपनियों की वजह से संभव हुआ है। कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी ने सुझाव दिया है कि फलों और सब्जियों के लिए भी “नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड” की तर्ज पर एक अलग बोर्ड बनाया जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि किसानों को बेहतर दाम दिलाने के लिए 5-6 और सहकारी संस्थाओं की जरूरत है।

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जलवायु परिवर्तन और कृषि में R&D को बढ़ावा

बजट 2025 में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के उपाय भी शामिल हो सकते हैं। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है और मानसून अस्थिर हो रहा है, कृषि में अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा देना जरूरी हो गया है। वर्तमान में यह कृषि GDP का 0.5% से भी कम है, जिसे बढ़ाकर 1% किया जाना चाहिए।

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बजट 2024 में सरकार ने कृषि अनुसंधान की व्यापक समीक्षा और जलवायु-सहिष्णु किस्मों के विकास पर जोर देने की बात कही थी। बजट 2025 में इन वादों को पूरा करने के लिए R&D के लिए वित्तीय आवंटन बढ़ाने की उम्मीद है।

डिजिटल भारत और किसान

बजट 2025 में “डिजिटल इंडिया” के तहत किसानों के लिए डिजिटल सेवाओं पर भी ध्यान दिया जाएगा। “एग्रीस्टैक” प्रोजेक्ट के तहत अब तक 1 करोड़ से अधिक आईडी बनाई जा चुकी हैं। कृषि विपणन के लिए एक समान पैन-इंडिया ढांचा तैयार करने पर भी जोर दिया जा रहा है, जिससे कृषि उत्पादों का निर्बाध व्यापार सुनिश्चित हो सके।

हालांकि, आंदोलनरत किसान इसे सरकार की पिछली विवादित कृषि नीतियों को फिर से लागू करने की कोशिश मानते हैं। उनकी MSP की कानूनी गारंटी की मांग इस बजट पर उनके रुख को काफी हद तक प्रभावित करेगी।

बजट 2025 से किसानों को राहत देने और कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार की उम्मीद की जा रही है। सरकार पर किसानों की आय बढ़ाने और उनकी मांगों को समझदारी से हल करने का दबाव रहेगा। क्या यह बजट किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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