राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

IFS फार्मिंग मॉडल क्या है? जानिए कैसे छोटे किसान इसे अपनाकर बना रहे अपनी खेती को सोने की खान  

10 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: IFS फार्मिंग मॉडल क्या है? जानिए कैसे छोटे किसान इसे अपनाकर बना रहे अपनी खेती को सोने की खान – छोटे और सीमित संसाधनों वाले किसान अब केवल फसल पर निर्भर नहीं रह रहे। आईएफएस (Integrated Farming System) यानी एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाकर वे अपनी खेती को अधिक उत्पादक और लाभकारी बना रहे हैं। इस मॉडल ने न केवल किसानों की आजीविका सुरक्षित की है, बल्कि मौसम और जलवायु की अनिश्चितताओं से भी उनकी रक्षा की है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, प्रधानमंत्री-राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (पीएम-आरकेवीवाई) के तहत वर्षा-सिंचित क्षेत्र विकास (RAD) कार्यक्रम का कार्यान्वयन कर रहा है। यह योजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित आईएफएस मॉडलों के माध्यम से सतत कृषि उत्पादन को बढ़ावा देती है।

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आरएडी का कार्यान्वयन और लाभ

आरएडी को राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के तहत वर्ष 2014-15 से और 2022-23 से पीएम-आरकेवीवाई के हिस्से के रूप में लागू किया गया। इसके तहत राज्यों को IFS अपनाने के लिए केंद्रीय सहायता के रूप में 2119.8397 करोड़ रुपये प्रदान किए गए। इस सहायता से 8.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 14.35 लाख किसान लाभान्वित हुए।

आईएफएस मॉडल की विशेषताएं और लाभ

1. कृषि का विविधीकरण: फसल के साथ बागवानी, पशुधन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन और कृषि-वानिकी को जोड़कर आय बढ़ाना।
2. मौसम और जलवायु से सुरक्षा: सूखा-प्रवण क्षेत्रों में अनुकूलन क्षमता बढ़ाना।
3. मृदा और जल संरक्षण: वर्षा जल संचयन और मिट्टी की उर्वरता बनाए रखना।
4. किसानों का क्षमता निर्माण: आईएफएस अपनाने वाले किसानों के लिए प्रति क्लस्टर 10,000 रुपये की वित्तीय सहायता।
5. केवीके प्रशिक्षण और प्रदर्शन: वर्ष 2024-25 में 4416 प्रदर्शन आयोजित किए गए और 96,013 किसानों को विभिन्न IFS मॉडल पर प्रशिक्षित किया गया।

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2025-26 के लिए केंद्रीय सहायता

वर्ष 2025-26 के दौरान, आरएडी के तहत किसानों के क्षमता निर्माण और कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को 343.86 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता आवंटित की गई।

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कैसे छोटे किसान हो रहे मालामाल

आईएफएस मॉडल अपनाने वाले किसानों की आमदनी में कई गुना वृद्धि हुई है। उदाहरण के तौर पर, 1 हेक्टेयर जमीन वाले किसान ने गेहूं और धान के साथ आम और नींबू की बगिया लगाई, तालाब में मछली पालन शुरू किया और बकरी पालन से नियमित आय सुनिश्चित की। अब वह केवल फसल पर निर्भर नहीं है और मौसम की मार से भी सुरक्षित है।

नीति आयोग द्वारा 2025 में किए गए आरएडी मूल्यांकन अध्ययन में पाया गया कि साइट-उपयुक्त आईएफएस हस्तक्षेप संवेदनशील कृषि-जलवायु क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा और जलवायु अनुकूलन क्षमता बढ़ाने में प्रभावी साबित हुए हैं।
यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने राज्यसभा में लिखित उत्तर के रूप में दी।

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