रामलगन पाल द्वारा ड्रिप सिंचाई विधि एवं केंचुआ खाद से टमाटर उत्पादन
पन्ना। कृषि विज्ञान केन्द्र पन्ना के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.एस. किरार, वैज्ञानिक डॉ. आर. के. जायसवाल एवं विजय धाकड़ ग्रा.उ.वि.अ. द्वारा विगत दिवस गांव गुठला, प्रतापपुर वि.ख. अजयगढ़ के प्रगतिशील कृषक रामलगन पाल और अन्य कृषक धुरिया, रामेश्वर पाल, बिहारी लाल गुप्ता आदि कृषकों के खेतों पर सब्जियों, गेहंू, गन्ना, अरहर आदि फसलों को अवलोकन एवं तकनीकी सलाह दी गयी। कृषक रामलगन पाल टमाटर की ड्रिप सिंचाई विधि एवं प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक का उपयोग कर बेहतर उत्पादन ले रहे हैं। कृषक पाल अपने प्रक्षेत्र पर केंचुए कम्पोस्ट विधि से उच्च गुणवत्ता का कम्पोस्ट तैयार कर रसायनिक खादों पर होने वाले खर्च की भी बचत कर रहा है। ड्रिप सिंचाई विधि से कम पानी में ढलान वाले खेत में टमाटर की बेहतर खेती कर रहा है। वह अपने क्षेत्र पर दुधारू पशुओं हेतु अजोला उत्पादन एवं हरा चारा हेतु बरसीम का उत्पादन कर रहा है। इनके प्रक्षेत्र पर उद्यानिकी विभाग से ड्रिप सिंचाई, प्याज भण्डारण एवं पैक हाऊस का निर्माण कराया गया है। के.वी.के. द्वारा गेहूं प्रदर्शन में नई किस्म डी.बी. डब्ल्यू- 110 एवं अजोला कल्चर दिया गया है। साथ ही वैज्ञानिकों द्वारा नियमित प्रक्षेत्र पर भ्रमण एवं कृषक को कृषि महाविद्यालय रीवा एवं जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय का भ्रमण भी कराया है। वैज्ञानिकों ने टमाटर में लीफ कर्ल (पत्ती सुकडऩ) के लिए मिथाइल डिमेटान या एसीफेट के साथ सल्फर 2 मि.ली./ली पानी के घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गयी। गेहूं की फसल में सकरी पत्ती (मोथा एवं अकरी) से बचाव हेतु आइसोप्रोटयूरान 300 ग्राम और सकरी व चौड़ी पत्ती के लिए सल्फोसल्फ्यूरान 13.4 ग्राम/एकड़ 200 ली. पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। अरहर की फसल में फलमक्खी और फली छेदक इल्ली के नियंत्रण हेतु प्रोपेनोफॉस 50 ई.सी. 400 मि.ली. या इण्डोक्साकार्ब 14.5 ई.सी. 200 मि.ली./एकड़ घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गयी।