राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

दीपावली की तारीख को लेकर सोशल मीडिया पर द्वंद लोग एक दूसरे से पूछ रहे- आखिर कब मनाए इस त्योहार को

25 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: दीपावली की तारीख को लेकर सोशल मीडिया पर द्वंद लोग एक दूसरे से पूछ रहे- आखिर कब मनाए इस त्योहार को – दीपावली की तारीख को लेकर सोशल मीडिया विद्वानों के बीच द्वंद चल रहा है। हालांकि अधिकांश शहरों में तारीख को तय कर लिया गया है और 31 अक्टूबर ही तय हुई है बावजूद इसके जिस तरह से सोशल मीडिया पर तारीख को लेकर चर्चा और मंथन चल रहा है उससे लोगों में संशय है और लोग एक दूसरे से पूछ रहे है कि आखिर इस त्योहार को कब मनाया जाना चाहिए।

यदि इंदौर की बात करें तो वहां के कुछ विद्वानों ने एक नवंबर की तारीख तय की थी लेकिन बाद में सराफा और अन्य व्यापारियों ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में जो तारीख 31  अक्टूबर तय की गई है, उसे ही मान्य करते हुए 31 अक्टूबर को दीपावली मनाने का फैसला लेने का ऐलान किया था लेकिन बीते दो दिन पहले ही एक बार फिर इंदौर के कुछ विद्वानों ने एक नवंबर को ही दीपावली मनाना शास्त्रोक्त रूप से मान्य बताया है। इधर दीपावली की तारीख को लेकर सोशल मीडिया पर एक दूसरे पर वार किया जा रहा है। इतना ही  नहीं कुछ विद्वानों तो तारीख को लेकर शास्त्रार्थ भी करने के लिए तैयार है। लेकिन इसी बीच न केवल उज्जैन शहर बल्कि मालवांचल के लोगों में भी दीपावली की तारीख को लेकर संशय दूर नहीं हो रहा है। लोग एक दूसरे से अभी तो हर दिन ही यह पूछ रहे है कि आखिर दीपावली को कब मनाया जाना चाहिए। जबकि उज्जैन की पंचांग में 31 अक्टूबर ही तय बताई गई है वहीं महाकाल मंदिर में भी 31 अक्टूबर को ही दीपावली का त्योहार मनाने का फैसला पहले ही पुजारियों ने ले लिया है। इसके अलावा शासकीय कैलेंडर में भी  31 अक्टूबर को ही दीपावली का अवकाश बताया गया है। इधर उज्जैन के विद्वानों ने एक बार फिर यह कहा है कि दीपावली का पर्व सर्वसम्मत रूप से 31 अक्टूबर को मनाया जाना चाहिए। दरअसल दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है और प्रदोष काल के बाद दीपावली की पूजा की जाती है। पंचांग के अनुसार इस साल अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर के बाद 3 बजकर 52 पर शुरू होकर 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। यानी कि 31 अक्टूबर की रात को अमावस्या तिथि विद्यमान रहेगी। इसलिए 31 अक्टूबर की रात को ही दीपावली मनाना तर्कसंगत होगा।

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