दाल उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के आसार, 2034 तक बढ़ेगा 80 लाख टन: रिपोर्ट
22 जुलाई 2025, नई दिल्ली: दाल उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी के आसार, 2034 तक बढ़ेगा 80 लाख टन: रिपोर्ट – भारत में दाल उत्पादन को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। आने वाले 10 साल में भारत में दालों का उत्पादन करीब 80 लाख टन बढ़ने का अनुमान है। यह जानकारी OECD-FAO एग्रीकल्चर आउटलुक 2025–2034 की ताजा रिपोर्ट में दी गई है। फिलहाल भारत में हर साल 25.2 मिलियन टन से ज्यादा दालों का उत्पादन होता है, जो 2034 तक तेजी से बढ़ने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार, 2034 तक दुनिया में कुल दाल उत्पादन में 2.6 करोड़ टन की बढ़ोतरी होगी। इसमें से करीब 40 फीसदी योगदान एशियाई देशों का होगा, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा भारत का रहेगा। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दाल उत्पादक देश है।
हाईब्रिड बीज और सरकारी योजनाओं का असर
दाल उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं। किसानों को बेहतर उत्पादन देने वाले हाईब्रिड बीज दिए जा रहे हैं, खेती में मशीनों का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के जरिये किसानों को फसल का अच्छा दाम मिल रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें भी दालों की खरीद के लिए योजनाएं चला रही हैं, हालांकि गेहूं और चावल जितना व्यापक दायरा अभी नहीं है।
इंटरक्रॉपिंग से भी बढ़ेगा उत्पादन
रिपोर्ट के मुताबिक दालों की पैदावार बढ़ाने में इंटरक्रॉपिंग यानी दो या ज्यादा फसलों को साथ बोने का तरीका भी अहम भूमिका निभाएगा। खासकर एशिया और अफ्रीका में जहां छोटे किसान खेती करते हैं, वहां दालों के साथ अनाज बोने का चलन तेजी से बढ़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि दालों की पैदावार बढ़ेगी लेकिन अभी भी अनाज और तिलहनों के मुकाबले इसकी रफ्तार थोड़ी कम रहेगी क्योंकि दालों पर रिसर्च और सुविधाएं सीमित हैं।
दुनिया में बढ़ेगी दालों की मांग
OECD-FAO रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में लोगों के खाने में दालों का इस्तेमाल बढ़ेगा। 2034 तक प्रति व्यक्ति सालाना दाल की खपत औसतन 8.6 किलो तक पहुंच सकती है।
व्यापार में भी दिखेगा इजाफा
पिछले 10 सालों में दुनिया में दालों का व्यापार 1.4 करोड़ टन से बढ़कर 2 करोड़ टन हो चुका है। यह 2034 तक 2.3 करोड़ टन तक पहुंच सकता है। कनाडा दालों का सबसे बड़ा निर्यातक बना रहेगा, जहां से निर्यात 4.9 मिलियन टन से बढ़कर 5.7 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। ऑस्ट्रेलिया और रूस भी बड़े निर्यातक रहेंगे।
कीमतों को लेकर क्या है अनुमान?
रिपोर्ट में बताया गया है कि दालों की कीमतों में 2025 में थोड़ी गिरावट आ सकती है, लेकिन अगले कुछ सालों में इनमें हल्की बढ़त देखने को मिल सकती है। हालांकि वास्तविक कीमतों में कमी का रुख जारी रहेगा।
किसानों को होगा फायदा
कुल मिलाकर आने वाले समय में भारत में दाल उत्पादन में बड़ा उछाल देखने को मिलेगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और देश की आयात पर निर्भरता भी घटेगी। साथ ही लोगों की थाली में पोषण बढ़ेगा और देश की खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होगी।
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