National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

समझौता किसानों के कल्याण में सुधार का मार्ग प्रशस्त करेगा

Share
कृषि विभाग और आईआरआरआई ने समझौते पर किए हस्ताक्षर

14 जुलाई 2022, नई दिल्ली: समझौता किसानों के कल्याण में सुधार का मार्ग प्रशस्त करेगा – कृषि विभाग (डीए एंड एफडब्ल्यू) और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के बीच आईआरआरआई दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आईएसएआरसी) के चरण -2 की गतिविधियों के शुरू होने पर एक समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए मौजूदा साझेदारी को बढ़ाना है। इस समझौते पर कृषि विभाग में सचिव श्री मनोज आहूजा और आईआरआरआई के महानिदेशक डॉ. जीन बाली ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए। 

आईएसएआरसी की स्थापना पांच साल पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद हुई थी। आईएसएआरसी ने चावल मूल्य संवर्धन उत्कृष्टता केंद्र (सीईआरवीए) भी स्थापित किया है जिसमें अनाज और पुआल में भारी धातुओं की स्थिति और उसकी गुणवत्ता निर्धारित करने की क्षमता वाली एक आधुनिक और परिष्कृत प्रयोगशाला शामिल है। सीईआरवीए की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक निम्न और एक मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले चावल की किस्मों क्रमशः आईआरआरआई 147 (जीआई 55) और आईआरआरआई 162 (जीआई 57) का विकास है जो सीईआरवीए टीम और आईआरआरआई मुख्यालय के संयुक्त प्रयासों से संभव हो पाया। चूंकि अधिकांश चावल की किस्मों में जीआई अधिक होता है और अधिकांश भारतीय चावल का सेवन करते हैं, ऐसे में कम जीआई वाले चावल की किस्मों को लोकप्रिय बनाने से भारत में मधुमेह की बढ़ती प्रवृत्ति कम हो जाएगी।

कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा ने अपनी संक्षिप्त टिप्पणी में कहा कि यह समझौता किसानों के कल्याण में बढ़ोतरी और भारत एवं शेष दक्षिण एशिया में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में आगे काम करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

इस अवसर पर आईआरआरआई के महानिदेशक डॉ. जीन बाली ने कहा कि आईएसएआरसी फिलीपींस के बाहर दुनिया भर में आईआरआरआई का पहला और सबसे बड़ा शोध केंद्र है। उन्होंने कहा कि इस समझौते को जारी रखने से भारत और अफ्रीका सहित दक्षिण एशिया में चावल उगाने वाले देशों की फसल उत्पादन, बीज की गुणवत्ता और किसानों की आय वृद्धि की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह चावल की खेती में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को भी कम करेगा, और वैश्विक भूख से लड़ने तथा गरीबी को मिटाने में भी मदद करेगा। 

दूसरे चरण के उद्देश्यों को हासिल करने के लिए जरूरी गतिविधियों को 5 वर्षों में तीन विषयगत क्षेत्रों जैसे (1) चावल मूल्य संवर्धन उत्कृष्टता केंद्र (सीईआरवीए); (2) सतत कृषि उत्कृष्टता केंद्र (सीईएसए) और (3) विकास के लिए नवाचार एवं अनुसंधान शिक्षा केंद्र (सीईआईआरडी) में ट्रांस डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण और अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाते हुए पूरा किया जाएगा।

महत्वपूर्ण खबर: सोयाबीन कृषकों को कृषि विभाग की उपयोगी सलाह

Share
Advertisements

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *