राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण में जैविक खेती की बढ़ती भूमिका

04 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण में जैविक खेती की बढ़ती भूमिका – जलवायु परिवर्तन और घटती मिट्टी की गुणवत्ता जैसी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैविक खेती न केवल मिट्टी की सेहत को सुधारती है बल्कि पानी के उपयोग में भी कुशलता लाती है। इसके लिए ‘परंपरागत कृषि विकास योजना’ (PKVY) और ‘उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट’ (MOVCDNER) जैसी योजनाएं लागू की गई हैं। PKVY पूरे देश में और MOVCDNER विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिए चलाई जा रही है। इन योजनाओं के तहत जैविक खेती से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणन, विपणन और पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन तक किसानों को संपूर्ण सहायता दी जा रही है।

यह जानकारी कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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जैविक खेती से मिट्टी की सेहत में सुधार

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा संचालित ‘ऑल इंडिया नेटवर्क प्रोग्राम ऑन ऑर्गेनिक फार्मिंग’ (AINP-OF) के तहत 16 राज्यों में 20 केंद्रों के माध्यम से 76 फसली प्रणालियों के लिए जैविक खेती की पद्धतियां विकसित की गई हैं। इसके परिणामस्वरूप मिट्टी के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में सुधार हुआ है, जिससे फसलों के लिए बेहतर माइक्रो-पर्यावरण तैयार होता है। पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक खेती में मौसम के प्रतिकूल प्रभावों का भी कम असर देखा गया है।

कृषि में सुधार के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के रूप में ओपन सोर्स और ओपन स्टैंडर्ड आधारित डिजिटल समाधान लागू किए जा रहे हैं। ‘एग्रीस्टैक’ पहल के तहत, किसान पंजीकरण, भू-स्थानिक ग्राम मानचित्र और डिजिटल फसल सर्वेक्षण जैसी तीन मुख्य रजिस्ट्रियां तैयार की जा रही हैं। डिजिटल फसल सर्वेक्षण के जरिए फसलों और सिंचाई के तरीकों का डेटा एकत्र किया जा रहा है, जिससे फसल विविधीकरण, मिलेट प्रमोशन और जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान में मदद मिलती है।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम

राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि नवाचार (NICRA) कार्यक्रम के तहत भारतीय कृषि की जलवायु परिवर्तन के प्रति जोखिम और संवेदनशीलता का मूल्यांकन किया गया है। पिछले 10 वर्षों में ICAR ने 2593 फसल प्रजातियां विकसित की हैं, जिनमें से 2177 प्रजातियां जैविक और अजैविक तनावों के प्रति सहनशील पाई गई हैं। इसके साथ ही, 151 जलवायु-प्रभावित जिलों में 448 जलवायु अनुकूल गांवों की स्थापना की गई है।

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माइक्रो सिंचाई से जल संरक्षण

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के तहत ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (PDMC) योजना लागू की जा रही है। माइक्रो सिंचाई प्रणालियां, जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर, जल बचाने और उर्वरकों के कुशल उपयोग में सहायक हैं। इससे श्रम और अन्य इनपुट लागतों में कमी के साथ किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल रही है। छोटे और सीमांत किसानों को 55% और अन्य किसानों को 45% वित्तीय सहायता दी जा रही है।

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जैविक खेती, डिजिटल तकनीक और जल संरक्षण के इन उपायों से खेती अधिक टिकाऊ बनने की ओर अग्रसर है, लेकिन छोटे और दूरदराज के किसानों तक इन योजनाओं की पहुंच को मजबूत करना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।

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