जो किसान 20 क्विंटल उपज लेते हैं, उन्हीं से सीखेगी सरकार
30 जून 2025, इंदौर: जो किसान 20 क्विंटल उपज लेते हैं, उन्हीं से सीखेगी सरकार – देश में सोयाबीन उत्पादन को लेकर एक नई पहल की शुरुआत हुई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को इंदौर स्थित राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि अब कृषि शोध से जुड़े मुद्दे सीधे खेतों से तय होंगे, न कि सिर्फ दिल्ली में बैठकर।
कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में चलाए गए ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के तहत देशभर में वैज्ञानिकों, किसानों, कृषि विश्वविद्यालयों और अधिकारियों की 2,170 टीमों ने गांव-गांव जाकर 1.35 करोड़ से अधिक किसानों से संवाद किया। इन बैठकों से सामने आए सवालों को अब शोध की दिशा में आधार बनाया जाएगा।
श्री चौहान ने बताया कि देश में पिछले 11 वर्षों में खाद्यान्न उत्पादन में 44% की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन कई फसलों की उत्पादकता अब भी स्थिर बनी हुई है। उन्होंने कहा कि “हमारे पास 16 हजार वैज्ञानिक हैं, लेकिन उनकी मेहनत तब तक अधूरी है जब तक खेत में काम कर रहे किसान से उनका सीधा संवाद न हो।”
लैब और लैंड को जोड़े बिना नहीं होगा बदलाव
केंद्रीय मंत्री के अनुसार, खेती में तकनीक और नवाचार लाने के लिए ‘लैब-टू-लैंड’ को एकजुट करना जरूरी है। “अब रिसर्च वैज्ञानिक नहीं, किसान तय करेगा कि क्या जरूरी है,” उन्होंने कहा। उनका मानना है कि जब वैज्ञानिक और किसान एक टीम की तरह काम करेंगे, तभी फसलों की उत्पादकता और किसानों की आमदनी में सुधार होगा।
इस संवाद के दौरान कई मुद्दे सामने आए—जैसे सोयाबीन की उत्पादकता बढ़ाने की चुनौती, लाल सड़न जैसी बीमारियों से निपटना, अमानक बीज और कीटनाशकों की समस्या, और खेतिहर मजदूरों की कमी से निपटने के लिए मशीनों की जरूरत। श्री चौहान ने स्पष्ट किया कि इन विषयों पर केंद्रित शोध और तकनीकी समाधान विकसित किए जाएंगे।
वैल्यू एडीशन और निर्यात पर भी होगी पहल
सोयाबीन को लेकर मंत्री ने कहा कि इस फसल में प्रोटीन की भरपूर मात्रा है लेकिन तेल का कंटेंट सिर्फ 18% है। ऐसे में केवल कच्चे माल के रूप में बेचने के बजाय इसके उत्पादों—जैसे टोफू, सोया मिल्क और पशु आहार (सोया खली)—के लिए वैल्यू एडीशन और प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
कुछ किसानों ने संवाद के दौरान यह भी बताया कि वे प्रति एकड़ 20 क्विंटल तक उत्पादन कर रहे हैं, जिसकी पद्धतियों का अध्ययन करने की बात कही गई है।
चार राज्यों में होगी फसलों पर फोकस चर्चा
कृषि मंत्रालय अब फसल-विशेष संवाद के लिए अन्य राज्यों में भी इसी तरह की बैठकें करेगा। श्री चौहान ने जानकारी दी कि कपास पर कोयंबटूर, गन्ने पर मेरठ और दलहन पर कानपुर में बड़े संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि “हमारा मंत्र है ‘एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम’। सबको मिलकर काम करना होगा, तभी हम उत्पादन बढ़ा पाएंगे और किसानों को बेहतर दाम दिला सकेंगे।”
केंद्रीय मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि बीजों की गुणवत्ता, रोग-प्रतिरोधक किस्मों और उन्नत तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही एक विस्तृत रोडमैप पेश किया जाएगा।
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