National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

खाद्य तेल की डिमांड-सप्लाई दिनों-दिन हो रही चौड़ी खाई

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  • (निमिष गंगराड़े)

23 अप्रैल 2022, नई दिल्ली । खाद्य तेल की डिमांड-सप्लाई दिनों-दिन हो रही चौड़ी खाई – भारत में खाद्य तेल की मांग-आपूर्ति में वर्ष दर वर्ष एक लंबा गैप उत्पन्न होता जा रहा है। प्रति व्यक्ति खपत भी साल दर साल बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के आईने में वर्ष 2012-13 में खाद्य तेल की प्रति व्यक्ति खपत भारत में 15.8 किलोग्राम प्रति वर्ष थी, जो वर्ष 2019-20 में बढ़कर 18.8 किलोग्राम सालाना हो गई है। यह खपत में 2.48 प्रतिशत की वृद्धि दर बताता है। हालांकि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक 1 व्यक्ति के लिए 30 ग्राम प्रतिदिन या 12 किलोग्राम सालाना तेल की खुराक पर्याप्त है।

भारत अपनी घरेलू डिमांड की लगभग 55 प्रतिशत पूर्ति के लिए निर्देशों पर निर्भर है और आयातित तेल से करता है। वर्ष 2021 में भारत ने केवल 79 हजार करोड़ रुपए मूल्य का 1.33 करोड़ टन खाद्य तेल आयात किया था जबकि 35 वर्ष पूर्व 1986-87 में केवल 15 लाख टन खाद्य तेल आयात किया गया था जिसका मूल्य केवल 700 करोड़ रुपए था।

भारत की प्रति वर्ष घरेलू खपत मांग 2.60 करोड़ टन खाद्य तेल की है, परन्तु हमारा घरेलू उत्पादन लगभग 1.25 करोड़ टन ही है। शेष आवश्यकता के लिए हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। आयातित खाद्य तेल में 55 प्रतिशत हिस्सेदारी केवल पाम ऑयल की होती है, जो मलेशिया, इंडोनेशिया से मंगाया गया है। परन्तु हाल की खबरों के मुताबिक इंडोनेशिया में भी तेल की किल्लत के कारण वहां की सरकार ने एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। आने वाले समय में तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

उत्पादकता का अंतर

देश में तिलहनी फसलों की उत्पादकता मानक स्तर से बहुत नीचे है। खाद्यान्न तिलहनी फसलों में औसत उत्पादकता में 60 प्रतिशत का अंतर है। गत सप्ताह दिल्ली में हुई खरीफ की राष्ट्रीय बैठक में कृषि आयुक्त के प्रेजेंटेशन के मुताबिक फसल उत्पादन में उन्नत तकनीक, विपुल उत्पादन देने वाली किस्में, समुचित फसल पोषण, मधुमक्खी पालन आदि उपायों को सतत अपना कर उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है। अगले 5 वर्षों में भी यदि इस विशाल उत्पादकता गैप को कम कर 20 प्रतिशत तक ला पाए तो लगभग 13-14 मिलियन टन अतिरिक्त खाद्य तिलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ सकता है और 30-40 लाख टन खाद्य तेल के अतिरिक्त उत्पादन की संभावना बन सकती है।

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