राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

एफसीआई में भंडारण क्षमता: कुशलता और आधुनिकता की दिशा में कदम

27 जुलाई 2024, नई दिल्ली: एफसीआई में भंडारण क्षमता: कुशलता और आधुनिकता की दिशा में कदम – एफसीआई की भंडारण क्षमता की आवश्यकता मुख्य रूप से चावल और गेहूं के लिए खरीद के स्तर, बफर मानदंडों की आवश्यकता और पीडीएस संचालन पर निर्भर करती है। एफसीआई निरंतर भंडारण क्षमता का आकलन और निगरानी करता है। भंडारण क्षमता में कमी के आकलन के आधार पर, विभिन्न योजनाओं के माध्यम से भंडारण क्षमता बनाई जाती या किराए पर ली जाती है।

एफसीआई की प्रमुख भंडारण योजनाएँ:

निजी उद्यमी गारंटी (पीईजी) योजना

इस योजना के अंतर्गत निजी निवेश को आकर्षित करके 24 राज्यों में पारंपरिक गोदामों का निर्माण किया जा रहा है। पीईजी योजना वर्ष 2008 में शुरू की गई थी तथा यह अपने अंतिम चरण में है। 01.07.2024 तक गोदामों के लिए स्वीकृत कुल क्षमता 151.95 एलएमटी है। इसमें से 147.01 एलएमटी का निर्माण पूरा हो चुका है, 3.94 एलएमटी निर्माणाधीन है और 1.0 एलएमटी का निर्माण अभी शुरू होना

केंद्रीय क्षेत्र योजना (सीएसएस)

भारत सरकार एफसीआई के माध्यम से केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत पहाड़ी/दुर्गम राज्यों में खाद्यान्न भंडारण डिपो (एफएसडी) का निर्माण कर रही है, जहां निजी निवेशक आगे नहीं आते हैं। वर्ष 2017 से 16 स्थानों पर 78,770 मीट्रिक टन की क्षमता बनाई गई है।

सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड

भंडारण सुविधाओं को उन्नत और आधुनिक बनाने के लिए सरकार पीपीपी मोड पर स्टील साइलो के निर्माण के लिए कार्य योजना को मंजूरी दी है। देशभर में विभिन्न स्थानों पर 23.75 लाख मीट्रिक टन क्षमता वाले साइलो का निर्माण हो रहा है।

निजी भंडारण योजना (पीडब्ल्यूएस)

एफसीआई निजी भंडारण योजना के माध्यम से भी गोदाम किराए पर लेता है ताकि भंडारण क्षमता में किसी भी कमी को पूरा किया जा सके।

परिसंपत्ति मुद्रीकरण

परिसंपत्ति मुद्रीकरण के तहत, एफसीआई की खाली जमीन पर गोदामों का निर्माण किया जाएगा। 177 स्थानों की पहचान कर ली गई है, जिन पर 17.47 एलएमटी का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए भारत सरकार (डीएफपीडी) ने सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।

सीडब्ल्यूसी/एसडब्ल्यूसी/राज्य एजेंसियों से गोदाम किराए पर लेना

राज्य एजेंसियों और सीडब्ल्यूसी/एसडब्ल्यूसी से गोदाम किराए पर लेकर भंडारण क्षमता को बढ़ाया जाता है।

कुशल भंडारण प्रणाली विकसित करने के लिए प्रभावी उपाय:

साइलो निर्माण

स्टील साइलो का निर्माण देशभर में पीपीपी मोड पर किया जा रहा है। 16.25 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो का निर्माण पूरा हो चुका है, जबकि 7.50 लाख मीट्रिक टन साइलो निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा, हब एंड स्पोक मॉडल के तहत पीपीपी मोड में 111.125 लाख मीट्रिक टन क्षमता के साइलो का निर्माण प्रस्तावित है।

कवर्ड और आई प्लिंथ सीएपी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना

परंपरागत रूप से गेहूं को सीएपी में संग्रहीत किया जाता था। अब सरकार ने सीएपी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का नीतिगत निर्णय लिया है। इसके लिए पंजाब और हरियाणा में 31 स्थानों (9 लाख मीट्रिक टन) और 10 स्थानों (4 लाख मीट्रिक टन) को मंजूरी दी गई है।

यह जानकारी केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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