खुरपका-मुंहपका और लंपी से मिलेगी राहत, सरकार लाई नई योजना
06 मार्च 2025, नई दिल्ली: खुरपका-मुंहपका और लंपी से मिलेगी राहत, सरकार लाई नई योजना – केंद्र सरकार ने पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण से जुड़ी योजना (एलएचडीसीपी) में कुछ बदलाव किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में इन बदलावों को मंजूरी मिल गई है। साथ ही, अगले दो सालों (2024-25 और 2025-26) के लिए इस योजना पर 3880 करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया गया है। इसका मकसद पशुओं में फैलने वाली बीमारियों पर काबू पाना और पशुधन की सेहत को बेहतर बनाना है।
योजना के मुख्य हिस्से
इस योजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है:
- राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी): इसमें खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) और ब्रुसेलोसिस जैसी बीमारियों से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा।
- पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण (एलएचएंडडीसी): इसके तहत गंभीर बीमारियों पर नजर रखी जाएगी, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयां लगाई जाएंगी और राज्यों को तकनीकी मदद दी जाएगी।
- पशु दवाएं: यह एक नया हिस्सा है, जिसमें पशुओं के लिए सस्ती और अच्छी क्वालिटी की जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। इसके लिए 75 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
योजना का मकसद
पशुओं में फैलने वाली बीमारियों जैसे खुरपका-मुंहपका, पीपीआर और लम्पी स्किन डिजीज की वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। इस योजना के जरिए इन बीमारियों पर काबू पाने की कोशिश की जाएगी। साथ ही, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों के जरिए गांव-गांव में पशुधन की सेहत की देखभाल की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इसके अलावा, पीएम-किसान समृद्धि केंद्र और सहकारी समितियों के नेटवर्क के जरिए पशु दवाओं की आसान उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
किसानों को क्या फायदा होगा?
सरकार का दावा है कि इस योजना से पशुओं की उत्पादकता बढ़ेगी, ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए मौके पैदा होंगे और किसानों को बीमारियों की वजह से होने वाले नुकसान से राहत मिलेगी। हालांकि, योजना का असर तभी दिखेगा जब इसे ठीक से लागू किया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन की सक्रिय भागीदारी के बिना योजना के लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा।
योजना के लिए अच्छा-खासा बजट तो मंजूर हो गया है, लेकिन इसके सही इस्तेमाल और पारदर्शिता पर नजर रखना भी जरूरी होगा। अगर योजना को ठीक से लागू किया जाता है, तो यह पशुधन क्षेत्र में बड़ा बदलाव ला सकती है। वहीं, अगर इसमें लापरवाही हुई, तो यह सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाएगी।
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