राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

किसानों को एक लाभदायक ग्रीनहाउस खेती व्यवसाय शुरू करने के बारे में पूसा संस्थान ने दी पूरी जानकारी

28 फरवरी 2024, नई दिल्ली: किसानों को एक लाभदायक ग्रीनहाउस खेती व्यवसाय शुरू करने के बारे में पूसा संस्थान ने दी पूरी जानकारी – कृषि को स्मार्ट बनाने हेतु वर्तमान में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन आधारित कृषि, इंटरनेट ऑफ थिंक, ब्लाग चेन जैसी तकनीक को अपनाया जा रहा हैं। हाइड्रोपॉनिक्स, एरोपॉनिक्स तथा वर्टिकल फार्मिंग भी इसमें शामिल हैं। इन तकनीकों से किसान ग्रीन हाउस में सब्जियों तथा फूलों की खेती साल भर कर सकते है तथा अधिक लाभ ले सकते हैं। इन तकनीकों को किस प्रकार स्थापित किया जायें एवं इसके क्या लाभ है। इन सभी के बारें में संपूर्ण जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा संस्थान) के विशेषज्ञ डॉ मुर्तजा हसन ने किसानों को विस्तारपूर्वक दी हैं।

डॉ मुर्तजा हसन ने बताया कि ग्रीन हाउस के अंदर वर्तमान में स्मार्ट कृषि का युग हैं। जिसके अंतर्गत तरह-तरह की मशीनरी, सेंसर, आयोटी और नई-नई तकनीकें जैसे हाइड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स इत्यादि का इस्तेमाल किया जा रहा हैं। किसान इनका उपयोग करकें या वर्टिकल फार्मिग द्वारा ग्रीनहाउस के अंदर व्यावसायिक तौर पर विभिन्न प्रकार की उच्च मूल्य की सब्जियां, नर्सरी और फूलों इत्यादि का उत्पादन कर सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं।

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इसकी खेती करने के लिए सवर्प्रथम वातावरण नियंत्रित ग्रीनहाउस की आवश्यकता होती हैं। व्यावसायिक खेती के लिए 1000 वर्ग मीटर का वातावरण नियंत्रित ग्रीनहाउस स्मार्ट कृषि, स्मार्ट अर्बन फार्मिंग के लिए बहुत ही उपयोगी हैं। इसके द्वारा खासतौर पर हरी पत्तियों वाली सब्जियां, नर्सरी, फूल इत्यादि का सालभर उत्पादन किया जा सकता हैं।

इन तकनीकों का करें उपयोग

इस तरह की खेती में विभिन्न प्रकार की जो तकनीकी इस्तेमाल की जाती हैं उनमें मुख्यतः साइल लैस फार्मिंग (मृदा रहित खेती), हाइड्रोपोनिक्स, एरोपोनिक्स, वर्टिकल खेती हैं।

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मिट्टी में ‘मृदा जनित रोग’ एक मुख्य समस्या हैं। ग्रीनहाउस तकनीक से खेती करने से इससे छुटकारा पाया जा सकता हैं। चूंकि यहां पर सॉइल का इस्तेमाल न करके विभिन्न प्रकार की इनअर्ट मीडिया जैसे कोको पिट, पर्लाइट, वर्मीकुलाइट का उपयोग किया जाता हैं और जल के माध्यम में पोषक तत्वों को जितने भी पानी में घुलनशील खाद हैं उसका इस्तेमाल करके शुध्द हाइड्रोपिनक्स तकनीक के द्वारा भी किसान इसमें हरी पत्ती वाली सब्जी खास करके सलाद का पत्ता, धनिया तथा पालक का सालभर उत्पादन कर सकते हैं।

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इस तरह की तकनीक के लिए मुख्यतः वेर्टीकल फार्मिंग नियंत्रित जो ढांचा बनाते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार के फ्रेम होते हैं जैसे-  ए फ्रेम, फ्लेट फ्रेम इत्यादि। इसमें 5-6 स्तर पर तरह का ढांचे बनाए जाते हैं। इन सभी ढांचों को इस प्रकार बनाया जाता हैं कि सभी स्तर पर जल और पोषक तत्वों का प्रवाह उचित मात्रा में पहुंच सकें। इस तकनीक में इसका खास ध्यान रखें कि जल और पोषक तत्वों की उचित मात्रा में पौधों को मिलना चाहिए।

रोशनी के लिए इसका करें उपयोग

इसकी खेती में कुछ आर्टीफिशियल लाइट जैसे एलईडी बेस लाइट का भी इस्तेमाल किया जाता हैं ताकि सभी स्तर पर पौधों को सही रोशनी मिल सकें और पौधे अधिक से अधिक उत्पादन दे पायें। 

ग्रीनहाउस की खेती के लिए विभिन्न प्रकार के सेसंर का उपयोग किया जाता हैं। इनमें वातावरण नियंत्रित सेंसर जैसे टेंपरेचर सेंसर, ह्यूमिडिटी सेंसर तथा सोलर रेडियस सेंसर मुख्य तौर पर हैं।

इसके अलावा फर्टिगेशन संबंधित जो सेंसर हैं, जैसे इलेक्ट्रीकल का सेंसर, कंन्डक्टिविटी का सेंसर, पीएच का सेंसर तथा डीसॉल्व ऑक्सीजन का सेंसर हैं। इस तरह के सेंसर का इस्तेमाल करके और उन सेंसर को हम कंट्रोलर द्वारा लिंक करके इसका पूरा ऑटोमेशन कर देते हैं। ऑटोमेशन का जो अगला स्तर हैं उसमें इन ऑटोमेशन को आईओटी द्वारा नियंत्रित करके अपने स्मार्ट फोन से कनेंक्ट कर दिया जाता हैं ताकि आप इसको अपने फोन से निय़ंत्रित कर सके।

लाभ

हाइड्रोपोनिक्स तकनीक द्वारा लगभग 60-70 प्रतिशत जल की बचत होती हैं। एरोपोनिक्स द्वारा 80-90 प्रतिशत जल की बचत होती हैं। किसान 1000 वर्ग मीटर ग्रीनहाउस में हरे पत्ते की 50,000-60,000 पौध एक साथ उगा सकते हैं। किसानों को इस तरह की खेती यानि स्मार्ट खेती से संबधित जो भी जानकारी लेनी हो वह पूसा संस्थान से इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और यहां इनको प्रशिक्षण भी दिया जायेगा।

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