राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को 2025-26 तक मिली मंजूरी, जल दक्षता और पारदर्शिता पर खास फोकस

24 जुलाई 2025, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को 2025-26 तक मिली मंजूरी, जल दक्षता और पारदर्शिता पर खास फोकस – किसानों को खेत तक पानी पहुंचाने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) को अब वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया गया है। इस योजना के तहत जल उपयोग की दक्षता बढ़ाने, तकनीकी निगरानी मजबूत करने और परियोजनाओं को पारदर्शी ढंग से लागू करने पर खास ज़ोर दिया जा रहा है। संसद में पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने सिंचाई प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से काम तेज किया है।

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पीएमकेएसवाई के मुख्य घटक

यह योजना दो प्रमुख घटकों पर आधारित है:
1. त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (AIBP)
2. हर खेत को पानी (HKKP)

एचकेकेपी में चार उप-घटक शामिल हैं

1. कमान क्षेत्र विकास एवं जल प्रबंधन (CAD&WM)
2. सतही लघु सिंचाई (SMI)
3. जलाशयों की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनर्स्थापन (RRR)
4. भूजल विकास (GW)

इसके अलावा, CAD&WM उप-घटक को AIBP के साथ मिलाकर लागू किया जा रहा है।

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2025-26 तक विस्तारित कार्य योजना

भारत सरकार ने दिसंबर 2021 में पीएमकेएसवाई के लिए 2021-22 से 2025-26 तक की नई कार्य योजना को मंजूरी दी है। हालांकि HKKP के भूजल घटक की स्वीकृति फिलहाल केवल पहले से तय देनदारियों के लिए दी गई है, जिसे ज़रूरत के अनुसार बढ़ाया गया है।

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अन्य मंत्रालयों की भूमिका

पीएमकेएसवाई के अंतर्गत दो अन्य घटक भी हैं जिनका संचालन अन्य मंत्रालय करते हैं:

1. वाटरशेड विकास घटक (WDC): इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग द्वारा क्रियान्वित किया जाता है।
2. प्रति बूंद अधिक फसल (PDMC): पहले यह पीएमकेएसवाई का हिस्सा था, लेकिन अब इसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लागू किया जा रहा है।

भूमि अधिग्रहण और जल उपयोग में सुधार

सिंचाई परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भूमि अधिग्रहण एक बड़ी चुनौती रही है। भूमिगत पाइपलाइनों के माध्यम से लगभग 55,290 किलोमीटर लंबा वितरण नेटवर्क बनाकर लगभग 76,594 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण से बचाया गया है। कुछ परियोजनाओं में SCADA आधारित जल वितरण प्रणाली और माइक्रो इरिगेशन तकनीकों ने जल उपयोग दक्षता को बेहतर बनाया है।

पारदर्शिता और निगरानी तंत्र

योजना की प्रगति और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समर्पित डैशबोर्ड और प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) का उपयोग किया जा रहा है। इसके ज़रिए लगभग रीयल टाइम में प्रगति और समस्याओं की निगरानी संभव हो पाई है।

PDMC के अंतर्गत माइक्रो इरिगेशन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। परियोजनाओं से जुड़े मुद्दों की निगरानी PMG पोर्टल के माध्यम से होती है, जहां भूमि अधिग्रहण और अनुमोदन जैसी बाधाओं का समाधान किया जाता है। यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री श्री वी. सोमन्ना ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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