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म.प्र. में कृषि यंत्रीकरण की गति धीमी

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म.प्र. में कृषि यंत्रीकरण की गति धीमी

ट्रैक्टर सब्सिडी अटकी

29 जून 2020, भोपाल। म.प्र. में कृषि यंत्रीकरण की गति धीमी – मशीनीकरण के इस युग में कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है। श्रम एवं समय की बचत के उद्देश्य से विदेशों में कृषि यंत्रीकरण बहुतायत में अपनाया गया है। परन्तु भारत एवं खासकर म.प्र. में कृषि यंत्रीकरण की दिशा में बहुत कार्य करने की जरूरत है। म.प्र. का मुख्यत: आर्थिक एवं सामाजिक विकास कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।

वर्तमान में यहां की फार्म पावर 2.17 किलो वाट प्रति हेक्टेयर है। सरकार को यदि आगामी वर्षों में राज्य में फार्म पावर उपलब्धता को 3 से 4 किलोवाट प्रति हेक्टेयर तक बढ़ाना है तो कृषि अभियांत्रिकी गतिविधियों को पंचायत स्तर तक पहुंचाना होगा जिससे सभी वर्गों के कृषकों को ट्रैक्टर, कम्बाईन हार्वेस्टर तथा अन्य कृषि यंत्र एवं उपकरण सरलता से उपलब्ध हो सकें।

कृषि अभियांत्रिकी का प्रदेश में बहुत ही सीमित अमला है। सरकार द्वारा विभाग को पर्याप्त बजट भी नहीं मिल पाता। इस कारण कई कृषक हितैषी यंत्रीकरण की योजनाएं ठंडी पड़ी हुई है। किसान पुत्र मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और ठेठ किसान कृषि मंत्री श्री कमल पटेल प्रदेश में कृषि यंत्रीकरण की गति को कितना बल देते हैं, आने वाला वक्त बताएगा। जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी की आड़ में किसान हितैषी योजनाओं में फंड की कमी बताकर उन्हें अटकाए रखने के कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

वित्तीय वर्ष 2020-21 के तीन माह बीत जाने के बाद भी प्रदेश की सरकार ट्रैक्टर जैसे महत्वपूर्ण कृषि यंत्र के लक्ष्य जारी नहीं कर पायी है। कृषि योजनाओं का बजट भी कोरोना महामारी में झोंक दिया गया है और किसान खरीफ मौसम शुरू होने के बाद भी ट्रैक्टर खरीदने के इंतजार में है। केन्द्र एवं राज्य सरकारें समय एवं श्रम बचाने के लिए कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण को बढ़ावा देने की बात तो कर रही है परन्तु धरातल पर उतारने के लिए योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी लेट-लतीफी है।

कभी केन्द्रांश नहीं मिलता तो कभी राज्यांश में देरी के कारण किसान को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक गत वर्ष जून प्रारंभ में ही ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्रों के कुल जिलेवार 11500 लक्ष्य जारी कर दिए गए थे, इसमें मात्र 1000 ट्रैक्टर वितरण का लक्ष्य था। परन्तु वर्ष 2020-21 में अब तक ट्रैक्टर के लक्ष्य जारी नहीं किए गए हैं जबकि अन्य यंत्रों के मात्र 8000 लक्ष्य जारी किए गए हैं।

राज्य में यंत्रों के लक्ष्यों का गिरता ग्राफ चिंता का कारण है। वैसे भी प्रदेश के 52 जिलों को देखते हुए 800-1000 ट्रैक्टरों का वितरण लक्ष्य जारी करना ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। इस वर्ष प्रदेश में गत वर्ष की तुलना में लगभग 2500 कृषि यंत्र किसानों को कम मिलेंगे। इधर अनुदान पर मिलने वाले कृषि यंत्रों की संख्या कम हो रही है उधर सरकार कृषि यंत्रीकरण का वर्ष 2035 तक का विजन बना रही है।

जानकारी के मुताबिक हाल ही में राज्य के सुशासन संस्थान ने कृषि यंत्रीकरण वर्ष 2035 तक का विजन बनाकर सरकार को भेजा है, परन्तु पंचायत एवं ब्लाक स्तर तक खेती को यंत्रीकरण इतना आसान नहीं है इसके लिए विभागीय संरचना से लेकर अमले तक आमूल-चूल परिवर्तन करना होगा। अभी से किसानों को अधिक से अधिक यंत्र उपलब्ध कराने होंगे तथा अनुदान पर वितरित यंत्रों के गिरते ग्राफ को ऊपर उठाना होगा।

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