चक्रवात दाना में मछुआरों के लिए स्वदेशी ट्रांसपोंडर साबित हुए सुरक्षा कवच
30 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: चक्रवात दाना में मछुआरों के लिए स्वदेशी ट्रांसपोंडर साबित हुए सुरक्षा कवच – चक्रवाती तूफान दाना के दौरान मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमओएफएएच एंड डी) द्वारा स्वदेशी तकनीक से विकसित ट्रांसपोंडर प्रणाली ने मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत लागू यह ट्रांसपोंडर प्रणाली मछुआरों को समुद्र में सुरक्षित रखने के लिए एक उपयोगी माध्यम साबित हुई है, जो मछुआरों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही है।
इस परियोजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अगस्त 2024 को महाराष्ट्र के पालघर से की थी, जिसका कुल परिव्यय 364 करोड़ रुपये है। इसका उद्देश्य मछुआरों को मोबाइल नेटवर्क से बाहर भी सुरक्षित संचार सुविधा प्रदान करना है, जिससे समुद्र में उनका संपर्क बना रहे।
चक्रवात दाना के दौरान ओडिशा तट पर तैनात ट्रांसपोंडरों ने मछुआरों को त्वरित चेतावनियां जारी कीं, जिससे समुद्र में मछली पकड़ने गए मछुआरों को समय पर तट पर लौटने का अवसर मिला। मौसम विभाग के आधार पर 20 अक्टूबर 2024 को राज्य राहत आयुक्त द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार, इन ट्रांसपोंडरों ने 21 से 26 अक्टूबर तक मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी, जो स्थानीय भाषा में भी भेजी गई।
स्वदेशी ट्रांसपोंडरों के माध्यम से वास्तविक समय में समुद्री स्थिति, हवा की गति और चक्रवात की जानकारी सीधे मछुआरों तक पहुंचाई जा रही है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि अधिकारी दूर समुद्र में मौजूद 126 नौकाओं को ट्रैक कर सके, जिससे चक्रवात आने से पहले 22 अक्टूबर तक उनकी सुरक्षित वापसी संभव हो पाई।
नभमित्र ऐप बना सहायक
मछुआरों की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए नभमित्र ऐप का भी उपयोग किया गया, जिसमें जहाजों की स्थिति, दिशा और गति की जानकारी सीधे तटीय अधिकारियों को मिलती है। इससे चक्रवात से पहले मछुआरों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हुई।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की मदद से विकसित इस ट्रांसपोंडर तकनीक को न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के माध्यम से सभी तेरह तटीय राज्यों में एक लाख मछली पकड़ने वाली नौकाओं में लगाया जा रहा है।
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