भारत फॉस्फेटिक और पोटाश के स्वदेशी भंडार का पता लगाएगा
28 जुलाई 2021, नई दिल्ली: केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री, श्री मनसुख मंडाविया ने उर्वरकों के उत्पादन के लिए देश में कच्चे माल की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री, श्री भगवंत खुबा के साथ-साथ रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, खान मंत्रालय, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर और मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
बैठक को संबोधित करते हुए श्री मंडाविया ने कहा कि उर्वरक आयात निर्भरता में कमी लाने के लिए और सभी उर्वरकों में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि “इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें स्वदेशी कच्चे माल के माध्यम से उर्वरकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए ध्यान केंद्रित करना होगा। वर्तमान समय में हम डीएपी और एसएसपी का उत्पादन करने हेतु कच्चे माल के लिए मुख्य रूप से अन्य देशों पर निर्भर करते हैं। 21वीं सदी के भारत को आयात पर अपनी निर्भरता में कमी लाने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हमें रॉक फॉस्फेटिक और पोटाश के स्वदेशी भंडारों का पता लगाना होगा और इसे डीएपी, एसएसपी, एनपीके और एमओपी का उत्पादन करने के लिए स्वदेशी उद्योगों को उपलब्ध कराना होगा जिससे भारतीय किसानों की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।”
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विभिन्न राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 536 मिलियन टन उर्वरक खनिज संसाधन सौंपे गए हैं। ये भंडार राजस्थान, प्रायद्वीपीय भारत के मध्य भाग, हीरापुर (मध्य प्रदेश), ललितपुर (उत्तर प्रदेश), मसूरी सिंकलाइन, कडप्पा बेसिन (आंध्र प्रदेश) में मौजूद हैं। यह भी निर्णय लिया गया कि भारतीय खनन एवं भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा राजस्थान के सतीपुरा, भरूसारी और लखासर और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में संभावित पोटाश अयस्क संसाधनों की खोज में तेजी लाया जाएगा।