राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बाजार में आ रहे गेहूं में नमी का स्तर अधिक; किसानों को कम कीमत मिलेगी

14 अप्रैल 2023, भोपाल: बाजार में आ रहे गेहूं में नमी का स्तर अधिक; किसानों को कम कीमत मिलेगी – मध्य प्रदेश में नए गेहूं की आवक मार्च में ही शुरू हो चुकी है। मगर मंडी में आ रही फसल में नमी की मात्रा अधिक है। इस वजह से व्यापारी और बड़ी कंपनियां खरीद से परहेज कर रही हैं। व्यापारी किसानों से गेहूं खरीद भी रहे हैं तो एमएसपी से कम भाव दे रहे हैं। केंद्रीय खाद्य सचिव श्री संजीव चोपड़ा ने कहा कि मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए गुणवत्ता मानकों में ढील दी गई है और पंजाब तथा हरियाणा में भी जल्द ही ऐसा करने पर विचार किया जाएगा। 

भारतीय किसान यूनियन के किसान नेता राकेश टिकैत ने किसानों का समर्थन करते हुए इस सन्दर्भ में बोला, “केंद्र सरकार के द्वारा गेहूं की खरीद में काले दाने व सिकुड़े दाने के गेहूं के 5 से 37 रु प्रति क्विंटल कटौती के आदेश को तत्काल वापस ले। बेमौसम वर्षा से खराब हुई फसलों का कोई मुआवजा नहीं मिला,ऊपर से यह आदेश किसान के जख्मों पर नमक जैसा है।”

Advertisement
Advertisement

भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियां कई राज्यों में खरीद शुरू कर चुकी हैं। मध्य प्रदेश में मार्च में अलग-अलग समय पर हुई ओला वृष्टि और बारिश ने प्रदेश के अधिकांश हिस्से में फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया। प्रदेश के 25 से अधिक जिलों में 70,000 हेक्टेयर से अधिक रकबा बारिश और ओले की जद में आया, जिससे गेहूं, चना और सरसों की फसल को खासा नुकसान पहुंचा है।

ज्यादातर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि  देश  में आगे मौसम साफ रहा और बारिश नहीं हुई तो गेहूं का उत्पादन 10.5 करोड़ टन के करीब रह सकता है। मगर मौसम खराब रहा तो उत्पादन 10 करोड़ टन के नीचे जा सकता है। सरकार के दूसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक इस वर्ष 11.22 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हो सकता है। पिछले साल मार्च में तापमान में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और लू के कारण गेहूं का उत्पादन गिरा था। सरकारी अनुमान के अनुसार तब 10.77 करोड़ टन गेहूं हुआ था। मगर बाजार सूत्रों का कहना है कि उत्पादन गिरकर 9.7 करोड़ टन ही रह गया था।

Advertisement8
Advertisement

उत्पादन घटने और कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक रहने के कारण पिछले साल सरकारी खरीद भी काफी कम रही थी क्योंकि किसानों ने  निजी कंपनियों और कारोबारियों को ऊंचे भाव पर गेहूं बेचना पसंद किया था। पिछले साल सरकारी केंद्रों पर केवल 1.88 करोड़ टन गेहूं बिका था, जो 2021-22 के 4.33 करोड़ टन गेहूं की तुलना में 56.58 फीसदी कम रहा। इस साल 3.41 करोड़ टन गेहूं खरीदने का सरकार का लक्ष्य है।

Advertisement8
Advertisement

खुले बाजार में गेहूं बिक्री की सरकारी घोषणा से पहले जनवरी के मध्य में भाव 3,200 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे। लेकिन जनवरी के आखिरी हफ्ते में 30 लाख टन गेहूं की खुली बिक्री के फैसले के बाद भाव घटने लगे। फरवरी में सरकार ने 20 लाख टन गेहूं और बेचने की निर्णय लिया और इसका  मूल्य भी घटाकर 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। 15 मार्च तक सरकार ने 33.77 लाख टन गेहूं खुले बाजार में बेचा है। इन सभी फैसलों का असर गेहूं की कीमतों पर हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी गेहूं की मौजूदा कीमतें पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 30 फीसदी  कम हैं।

यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुई जंग के कारण आपूर्ति में रुकावट आई, जिससे पिछले साल मई में गेहूं के अंतरराष्ट्रीय भाव बढक़र 450 डॉलर प्रति टन से ऊपर चले गए थे, जो अब 280 डॉलर प्रति टन के आसपास हैं। परिणामस्वरूप गेहूं की कीमत कई राज्यों में तो एमएसपी से नीचे यानी 1,800 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक रह गईं, एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल है। आगे मौसम बिगड़ा रहा तो गेहूं का उत्पादन और गुणवत्ता दोनों घटेंगे और भाव बढ़ सकते हैं।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्राम )

Advertisements
Advertisement5
Advertisement