राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बासमती धान के लिए प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची में हेक्साकोनाज़ोल भी शामिल; प्रतिबंध 1 अगस्त 2025 से लागू

25 जुलाई 2025, नई दिल्ली: बासमती धान के लिए प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची में हेक्साकोनाज़ोल भी शामिल; प्रतिबंध 1 अगस्त 2025 से लागू – पंजाब सरकार ने बासमती चावल की गुणवत्ता को बनाए रखने और उसके निर्यात को सुरक्षित करने के उद्देश्य से कीटनाशकों की प्रतिबंधित सूची को विस्तारित करते हुए हेक्साकोनाज़ोल (Hexaconazole) को भी इसमें शामिल कर लिया है। यह नया निर्देश 15 जुलाई 2025 को जारी किया गया था और अब बासमती धान पर प्रतिबंधित कीटनाशकों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है

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इससे पहले, सरकार ने 10 मई 2025 को राजपत्र में अधिसूचना जारी कर 11 कीटनाशकों पर अस्थायी प्रतिबंध की घोषणा की थी, जो अब 1 अगस्त 2025 से प्रभावी होगा और 60 दिनों तक लागू रहेगा। इस दौरान, इन कीटनाशकों का बिक्री, वितरण और उपयोग पंजाब में बासमती धान की फसल पर पूरी तरह निषिद्ध रहेगा।

यह निर्णय पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना और पंजाब राइस मिलर्स एवं एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की सिफारिशों के बाद लिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन कीटनाशकों के अवशेष बासमती चावल में अनुमेय स्तर (MRL) से अधिक पाए गए हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात को अस्वीकृति और हानि का सामना करना पड़ा है।

पंजाब में बासमती धान पर प्रतिबंधित कीटनाशकों की संशोधित सूची:

  1. एसिफेट (Acephate)
  2. बुप्रोफेज़िन (Buprofezin)
  3. क्लोरपायरीफॉस (Chlorpyriphos)
  4. प्रोपिकोनाज़ोल (Propiconazole)
  5. थायोमेथोक्सम (Thiamethoxam)
  6. प्रोफेनोफॉस (Profenofos)
  7. कार्बेन्डाज़िम (Carbendazim)
  8. ट्राइसाइक्लाज़ोल (Tricyclazole)
  9. टेबूकोनाज़ोल (Tebuconazole)
  10. कार्बोफ्यूरान (Carbofuran)
  11. इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid)
  12. हेक्साकोनाज़ोल (Hexaconazole) (15 जुलाई की अधिसूचना के अनुसार नया)

कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे इन प्रतिबंधित उत्पादों के स्थान पर कम-अवशेष और निर्यात अनुरूप विकल्पों का उपयोग करें। विभाग द्वारा फील्ड अधिकारियों और विस्तार सेवाओं को किसानों को इस प्रतिबंध की जानकारी देने और जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया है।

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1 अगस्त 2025 से लागू इस आदेश का उल्लंघन करने पर कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत कानूनी कार्यवाही की जा सकती है। यह कदम पंजाब की बासमती चावल की वैश्विक छवि को बनाए रखने और देश के कृषि निर्यात को सुदृढ़ करने के लिए अहम माना जा रहा है।

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