कपास उत्पादन में भारी गिरावट का लगाया अनुमान
13 जनवरी 2025, नई दिल्ली: कपास उत्पादन में भारी गिरावट का लगाया अनुमान – देश में कई किसानों द्वारा कपास का भी उत्पादन किया जाता है लेकिन इस साल सरकार का यह अनुमान है कि उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है. गौरतलब है कि कपास का उत्पादन किसानों के लिए लाभ का सौदा है क्योंकि कपास की खरीदी कपड़ा उद्योगों द्वारा बड़ी मात्रा में की जाती है.
कॉटन के उत्पादन में इस साल सरकार ने भारी गिरावट का अनुमान लगाया है. इसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ सकता है. टेक्सटाइल इंडस्ट्री को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए महंगा कॉटन खरीदना पड़ेगा. जिससे उनकी लागत बढ़ेगी और इससे कपड़े महंगे होने की संभावना बढ़ जाएगी. इस साल कॉटन का उत्पादन पिछले वर्ष के मुकाबले 25.96 लाख गांठ कम हो सकता है. एक गांठ में 170 किलोग्राम कॉटन होता है. कॉटन के उत्पादन में लगातार तीसरे साल गिरावट दर्ज की गई है. यह न सिर्फ किसानों बल्कि पूरी टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि हमारा कॉटन उत्पादन जो 2017-18 में 370 लाख गांठ था वह 2024-25 में सिर्फ 299.26 लाख गांठ पर आकर अटक गया है.भारत में कॉटन उत्पादन एक विषम परिस्थिति से गुजर रहा है. उत्पादन में तेजी से गिरावट हो रही है.जिसमें सबसे बड़ा रोल गुलाबी सुंडी का है. देश के अधिकांश कॉटन उत्पादक सूबों में इस कीट ने तबाही मचाई हुई है. कॉटन का उत्पादन कम हुआ है, इसकी एक वजह यह है कि इसकी खेती का रकबा घट रहा है. रकबा घटने की एक वजह गुलाबी सुंडी है, जबकि दूसरी वजह यह है कि अब किसानों को बाजार में अच्छा दाम नहीं मिल रहा है. पिछले साल कई सूबों में किसानों को कॉटन का एमएसपी तक नसीब नहीं हुआ. कपास उत्पादक किसानों को 2021 में 12000 रुपये प्रति क्विंटल तक का रेट मिला था, 2022 में 8000 रुपये तक का भाव मिला, लेकिन उसके बाद दाम गिरता चला गया. इसलिए रकबा भी कम होता चला गया. भागीरथ चौधरी का कहना है कि सरकार को कॉटन की खेती में बड़े परिवर्तन के लिए टेक्नोलॉजी मिशन लाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि किसानों को एमएसपी से कम कीमत न मिले.
कहां कम हुआ रकबा
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार 2024-25 में सिर्फ 112.75 लाख हेक्टेयर में कॉटन की खेती हुई है, जबकि 2023-24 में इसका रकबा 123.71 और 2022-23 में 127.57 लाख हेक्टेयर था. बहरहाल, वर्तमान साल में महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान में कॉटन की खेती का एरिया कम हो गया है. जिसका असर उत्पादन पर दिखाई दे रहा है.
महाराष्ट्र में पिछले साल 42.2 लाख हेक्टेयर में कॉटन की खेती हुई थी, जो इस साल घटकर सिर्फ 40.8 लाख हेक्टेयर रह गई थी. जबकि पंजाब में तो एरिया आधे से भी कम हो गया. साल 2023-24 के दौरान पंजाब में 2.14 लाख हेक्टेयर में कॉटन की खेती हुई थी जो इस साल घटकर सिर्फ 1 लाख हेक्टेयर में सिमट गई है. जबकि राजस्थान में पिछले वर्ष के 7.90 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस बार कपास महज 5.19 लाख हेक्टयर रह गया था.
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