राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

कृषि क्षेत्र का सकल पूंजी निर्माण 19.04 प्रतिशत की दर से बढा है: आर्थिक सर्वेक्षण

किसानों की आय को दोगुना करने, निवेश को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है

22 जुलाई 2024, नई दिल्ली: कृषि क्षेत्र का सकल पूंजी निर्माण 19.04 प्रतिशत की दर से बढा है: आर्थिक सर्वेक्षण – केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र का सकल पूंजी निर्माण (जीसीएफ) और सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) के प्रतिशत के रूप में जीसीएफ की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण सार्वजनिक निवेश में वृद्धि है। कृषि क्षेत्र का जीसीएफ 2022-23 में 19.04 प्रतिशत की दर से बढ़ा और जीवीए के प्रतिशत के रूप में जीसीएफ 2021-22 में 17.7 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 19.9 प्रतिशत हो गया, जो कृषि में निवेश में वृद्धि का संकेत देता है। 2016-17 से 2022-23 तक जीसीएफ में औसत वार्षिक वृद्धि 9.70 प्रतिशत रही। सर्वेक्षण में कहा गया है कि इस  के बावजूद किसानों की आय दोगुनी करने के संदर्भ में निवेश को और बढ़ावा देने की आवश्यकता है। डीएफआई की 2016 की रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि 2016-17 से 2022-23 की अवधि में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए, कृषि क्षेत्र में आय में 10.4 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कृषि के क्षेत्र में निवेश में 12.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर की आवश्यकता होगी।

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सरकार की प्राथमिकता समय पर, सस्ती दरों पर और पर्याप्त ऋण प्रदान करना है, जो गैर-संस्थागत ऋण पर निर्भरता को कम करता है और निवेश को बढ़ाता है। 31 जनवरी, 2024 तक, कृषि को वितरित कुल ऋण 22.84 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें 13.67 लाख करोड़ रुपये फसल ऋण (अल्पकालिक) और 9.17 लाख करोड़ रुपये सावधि ऋण के लिए आवंटित किए गए थे।

किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी):

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ने कृषि ऋण की सुलभता को सुव्यवस्थित किया है और 31 जनवरी, 2024 तक बैंकों ने 9.4 लाख करोड़ रुपये की सीमा के साथ 7.5 करोड़ केसीसी जारी किए हैं। एक और उपाय के रूप में, 2018-19 में मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए केसीसी को बढ़ाया गया, साथ ही बिना गारंटी के ऋण की सीमा को बढ़ाकर 1.6 लाख रुपये कर दिया गया। उधारकर्ताओं, दूध संघों और बैंकों के बीच त्रिपक्षीय समझौते (टीपीए) के मामले में, बिना गारंटी के ऋण 3 लाख रुपये तक दिया जा सकता है। 31 मार्च, 2024 तक, मत्स्य पालन और पशुपालन गतिविधियों के लिए क्रमशः 3.49 लाख केसीसी और 34.5 लाख केसीसी जारी किए गए। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) पट्टे पर खेती करने वाले किसानों के लिए ऋण के एक आवश्यक स्रोत के रूप में उभरे हैं। पिछले पांच वर्षों में जेएलजी खातों में 43.76 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि हुई है, जो पट्टे पर खेती करने वाले किसानों और हाशिए के वर्गों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभर कर आया है।

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कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर:

आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि 30 अप्रैल, 2024 तक, भंडारण इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 48,357 परियोजनाओं को मंजूरी मिली , जिसके लिए 4570 करोड़ रुपये सब्सिडी जारी की गई । फार्म गेट इंफ्रास्ट्रक्चर को और बढ़ावा देने तथा निजी क्षेत्र को अधिक सक्रिय रूप से शामिल करने के लिए, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर कोष (एआईएफ) को 1 लाख करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा के साथ लॉन्च किया गया था, जिसे वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2025-26 के बीच वितरित किया जाएगा, जिसमें वित्त वर्ष 2032-33 तक सहायता प्रदान की जाएगी।

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आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर कोष (एआईएफ) फसल कटाई के बाद प्रबंधन और सामुदायिक खेती परियोजनाओं के लिए मध्यम अवधि के ऋण वित्तपोषण प्रदान करता है, ब्याज अनुदान और ऋण गारंटी सहायता प्रदान करता है। 5 जुलाई, 2024 तक, एआईएफ ने 17,196 कस्टम हायरिंग सेंटर, 14,868 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों, 13,165 गोदामों, 2,942 छंटाई और ग्रेडिंग इकाइयों, 1,792 कोल्ड स्टोरेज परियोजनाओं और 18,981 अन्य परियोजनाओं का समर्थन करते हुए 7,3194 करोड़ रुपये का निवेश जुटाया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) ने खेत से लेकर खुदरा तक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन बनाने के लिए अनुदान के माध्यम से ऋण-लिंक्ड वित्तीय सहायता की शुरुआत की, ताकि जल्द खराब होने वाली उपज की बर्बादी को कम किया जा सके और खाद्य पदार्थों की शेल्फ लाइफ बढ़ाई जा सके। पीएमकेएसवाई के तहत मार्च 2024 के अंत तक 1044 परियोजनाएं पूरी हो गईं। मार्च 2024 के अंत तक 32.78 हजार करोड़ रुपये की परियोजना लागत और 9.3 हजार करोड़ रुपये की स्वीकृत सब्सिडी वाली कुल 1685 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।

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