राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री को हरी झंडी, राज्यों को मिला सख्त निर्देश

15 मार्च 2025, नई दिल्ली: बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री को हरी झंडी, राज्यों को मिला सख्त निर्देश –  केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री और वितरण को उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 (FCO) के तहत नियमित करें। यह फैसला 12 सितंबर 2024 को जारी अधिसूचना (S.O. 3922 E) के तहत एफसीओ की अनुसूची-VI में 11 बायोस्टिमुलेंट्स को शामिल किए जाने के बाद आया है।

सरकार के मुताबिक, अब बायोस्टिमुलेंट्स की बिक्री करने वाले सभी निर्माताथोक विक्रेताडीलर और खुदरा विक्रेताओं को एफसीओ 1985 के क्लॉज 7/8 के तहत अधिकृत पत्र (Authorization Letter) लेना जरूरी होगा। इससे बाजार में इन उत्पादों की बिना किसी गड़बड़ी के बिक्री सुनिश्चित होगी और गुणवत्ता बनी रहेगी।

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अब जबकि बायोस्टिमुलेंट्स को आधिकारिक रूप से उर्वरक श्रेणी में मान्यता मिल चुकी है, केंद्र ने राज्यों से कहा है कि वे इससे जुड़े कारोबारियों को जल्द से जल्द आवश्यक लाइसेंस जारी करें। सरकार का मानना है कि इससे बायोस्टिमुलेंट्स को लेकर स्पष्ट नीति लागू होगी और अनधिकृत बिक्री पर लगाम लगेगी।

बायोस्टिमुलेंट्स का उपयोग फसल उत्पादन बढ़ाने और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में अहम भूमिका निभाता है। इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार चाहती है कि यह किसानों को सुलभ और प्रमाणिक रूप से उपलब्ध हों। राज्यों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे इस प्रक्रिया को जल्द पूरा करें ताकि किसान बिना किसी परेशानी के इनका लाभ उठा सकें।

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एफसीओ की अनुसूची-VI में जिन बायोस्टिमुलेंट्स को शामिल किया गया है, उनमें वनस्पति अर्क (सीवीड एक्सट्रैक्ट सहित)बायो-केमिकल्सप्रोटीन हाइड्रोलाइसेट्स और अमीनो एसिड्सविटामिन्समाइक्रोबियल उत्पादएंटीऑक्सिडेंट्सएंटी-ट्रांसपिरेंट्सह्युमिक और फुल्विक एसिड तथा उनके डेरिवेटिव्स शामिल हैं।

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महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर ने अपनाए अलग रास्ते

इससे पहले, महाराष्ट्र सरकार ने फरवरी 2025 को एक आदेश जारी कर राज्य में बायोस्टिमुलेंट्स के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगा दी थी। सरकार ने तर्क दिया था कि केंद्र सरकार के अस्थायी G-2 और G-3 प्रमाण पत्र 22 फरवरी 2025 को समाप्त हो गएजिसके बाद बिना नई गाइडलाइन के इनकी बिक्री जारी रखना उचित नहीं होगा। महाराष्ट्र सरकार ने निर्माताओं और विक्रेताओं को अपने स्टॉक की जानकारी देने को भी कहा था ताकि आगे की प्रक्रिया तय की जा सके।

इसके विपरीत, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ज्यादा संतुलित नीति अपनाई। 27 फरवरी 2025 को कश्मीर डिवीजन के कानून प्रवर्तन उप निदेशक ने उर्वरक निरीक्षकों को निर्देश दिया कि वे एफसीओ 1985 के तहत केंद्र सरकार के संशोधन (S.O.3922 E) को लागू करें। यानी वहां मौजूदा स्टॉक की बिक्री जारी रखने की अनुमति दी गई, जिससे कारोबारी प्रभावित नहीं हुए।

अब, केंद्र सरकार के नए निर्देश के तहत सभी राज्यों को एक समान नीति अपनानी होगी। इससे देशभर में बायोस्टिमुलेंट्स की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और किसानों को भरोसेमंद उत्पाद मिल सकेंगे। सरकार का मानना है कि इस कदम से बाजार में पारदर्शिता आएगी और किसानों को लाभ मिलेगा।

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