राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार का नया मिशन: गोकुल मिशन और पशुधन स्वास्थ्य योजना के तहत कई कदम

03 अगस्त 2024, नई दिल्ली: दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार का नया मिशन: गोकुल मिशन और पशुधन स्वास्थ्य योजना के तहत कई कदम –  भारत सरकार का पशुपालन एवं डेयरी विभाग दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत देशी गोजातीय नस्लों के विकास और संरक्षण के लिए कई योजनाएँ लागू की जा रही हैं।

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत उठाए गए कदम:

  1. कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: 50 प्रतिशत से कम कवरेज वाले जिलों में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज बढ़ाने के लिए देशव्यापी कार्यक्रम का कार्यान्वयन।
  2. इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक (आईवीएफ): गोजातीय पशुओं के तीव्र आनुवंशिक उन्नयन के लिए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम।
  3. लिंग-विभेदित वीर्य का उपयोग: 90 प्रतिशत से अधिक सटीकता के साथ मादा बछड़ों के उत्पादन के लिए त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम।
  4. संतान परीक्षण और वंशावली चयन कार्यक्रम: उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के उत्पादन के लिए।
  5. कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों (मैत्री): ग्रामीण भारत में किसानों के घरों तक गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं की डिलीवरी।
  6. नस्ल गुणन फार्म की स्थापना: उद्यमिता के विकास और रोग मुक्त बछिया उपलब्ध कराने के लिए।

पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी): इस योजना का उद्देश्य पशुओं की बीमारियों के मुकाबले रोगनिरोधी टीकाकरण, पशु चिकित्सा सेवाओं की क्षमता निर्माण, रोग निगरानी और पशु चिकित्सा बुनियादी ढांचे को मजबूत करके पशु स्वास्थ्य के लिए जोखिम को कम करना है। इसमें शामिल प्रमुख गतिविधियाँ:

Advertisement
Advertisement

समर्थित प्रमुख गतिविधियों में शत-प्रतिशत केंद्रीय सहायता से खुरपका और मुंहपका रोग (एफएमडी), ब्रुसेलोसिस, पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स (पीपीआर) और क्लासिकल स्वाइन फीवर (सीएसएफ) के खिलाफ टीकाकरण, राज्य को पशु रोग नियंत्रण के लिए सहायता (एएससीएडी) शामिल हैं, जो राज्य की प्राथमिकता वाले आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण विदेशी, आकस्मिक और जूनोटिक पशु रोगों के नियंत्रण के लिए है, जिसमें केंद्र और राज्य के बीच 60:40 का वित्त पोषण पैटर्न है; इसके अतिरिक्त, पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना एवं सुदृढ़ीकरण (ईएसवीएचडी-एमवीयू) घटक के अंतर्गत, मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) की खरीद और अनुकूलन के लिए शत-प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 के अनुपात में आवर्ती परिचालन व्यय; अन्य राज्यों के लिए 60 प्रतिशत और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए शत-प्रतिशत सहायता प्रदान की जाती है, ताकि किसानों के घरों तक टोल-फ्री नंबर (1962) से मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के द्वारा पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें, जिसमें रोग निदान, उपचार, टीकाकरण, मामूली सर्जिकल उपायों, दृश्य-श्रव्य सहायता और विस्तार सेवाएं शामिल हैं।

राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत पशु आहार और चारा आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ाने के कदम:

  • चारा बीज उत्पादन: उच्च उपज वाली चारा किस्मों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 100 प्रतिशत प्रोत्साहन।
  • उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी): कुल मिश्रित राशन (टीएमआर), चारा ब्लॉक, साइलेज और सूखी घास तैयार करने के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना हेतु 50 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी के रूप में वित्तीय सहायता।
  • पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ): देश में पशु आहार, कुल मिश्रित राशन, साइलेज, बाईपास प्रोटीन, खनिज मिश्रण, आहार अनुपूरक और आहार प्रीमिक्स के बड़े पैमाने पर उत्पादन को समर्थन प्रदान करना।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement