फ्यूसिकॉन्ट: पनामा विल्ट पर जीत दिलाने वाला जैविक समाधान
19 जुलाई 2024, नई दिल्ली: फ्यूसिकॉन्ट: पनामा विल्ट पर जीत दिलाने वाला जैविक समाधान – केला किसानों के लिए एक खुशखबरी है! पनामा विल्ट (TR4) बीमारी के कारण कैवेंडिश केले के उत्पादन में हो रहे 60% से अधिक नुकसान को रोकने के लिए आईसीएआर-केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (ICAR-Central Institute for Subtropical Horticulture), लखनऊ ने एक नयी खोज की है। यह जैविक कीटनाशक, जिसे ‘फ्यूसिकॉन्ट’ नाम दिया गया है, किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है।
क्या है फ्यूसिकॉन्ट?
फ्यूसिकॉन्ट एक नवाचारक जैविक कीटनाशक है, जिसे ट्राइकोडर्मा रीसी (Trichoderma reesei) फंगस से बनाया गया है। यह विशेष फंगस ‘CSR T-3’ आइसोलेट पर आधारित है और इसे पेटेंट प्रोटेक्टेड मीडिया पर विकसित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य पनामा विल्ट (TR4) बीमारी से केले के पौधों की सुरक्षा करना है, जिससे वैश्विक स्तर पर केले के उत्पादन में 90% तक की कमी आती है। यह जैव-कीटनाशक एक अभिनव तकनीक पर आधारित है जो सीधे इस घातक फंगल रोग को लक्षित करता है, जो वर्तमान में दुनिया भर में लाखों टन केले की फसलों को नष्ट कर रहा है। फ्यूसिकॉन्ट व्यावसायीकरण के उन्नत चरणों में है और इसे भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (CIB) से भी मंजूरी मिल गई है। इसका मुख्य उद्देश्य न केवल रोग के प्रसार को रोकना है बल्कि पौधों को पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करना भी है।
फ्यूसिकॉन्ट की विशेषता है की ये विभिन्न किस्मों के लिए उपयुक्त है जिनमे G9, मालभोग (Malbhog), एलक्की (Elakki), मार्तमन (Martaman), करपूरावली (Karpooravalli) और सबरी (Sabari) जैसे विभिन्न केले की किस्मों के लिए भी प्रभावी है।
इस जैव-कीटनाशक ने बड़े पैमाने पर हॉटस्पॉट पर आईसीएआर द्वारा किए गए परीक्षणों में प्रभावशाली परिणाम दिखाए हैं और यह पर्यावरण के लिए एक स्थायी समाधान साबित हुआ है। भारत के सबसे बड़े फल उत्पादकों और निर्यातकों में से एक इनोटेरा इंडिया ने आईसीएआर -फ्यूसिकॉन्ट के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के साथ एक लाइसेंसिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
फ्यूसिकॉन्ट का उपयोग करके किसान न केवल अपने केले के उत्पादन को सुरक्षित कर सकते हैं, बल्कि अपने आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बना सकते हैं। यह जैविक कीटनाशक पर्यावरण के अनुकूल है और रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को भी कम करता है।
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