राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

मछुआरों को मिलेगा फायदा! भारत-मालदीव साथ मिलकर बढ़ाएंगे टूना मछली उत्पादन और फिशरीज टूरिज्म

प्रधानमंत्री मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुआ बड़ा समझौता

28 जुलाई 2025, नई दिल्ली: मछुआरों को मिलेगा फायदा! भारत-मालदीव साथ मिलकर बढ़ाएंगे टूना मछली उत्पादन और फिशरीज टूरिज्म – भारत के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के तहत आने वाले मत्स्यपालन विभाग और मालदीव के मत्स्यपालन एवं महासागर संसाधन मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह करार 25 जुलाई 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मालदीव यात्रा के दौरान हुआ, जब भारत और मालदीव के बीच कुल छह समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।

यह करार विशेष रूप से टूना और गहरे समुद्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने, जलीय कृषि एवं सतत् संसाधन प्रबंधन को मजबूत करने, मत्स्य पर्यटन (फिशरीज टूरिज्म) को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक अनुसंधान एवं नवाचार के क्षेत्र में सहयोग को लेकर किया गया है।

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किन क्षेत्रों में होगा सहयोग

इस समझौते के तहत निम्न प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग किया जाएगा:
1. मूल्य श्रृंखला विकास (Value Chain Development)
2. सागरीय कृषि उन्नति (Mariculture Advancement)
3. व्यापार सुगमता (Trade Facilitation)
4. क्षमता निर्माण (Capacity Building) और प्रशिक्षण कार्यक्रम

भारत के किसानों और मछुआरों को कैसे मिलेगा फायदा?

इस MoU से भारत के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले मछुआरों और जलीय कृषि से जुड़े किसानों को कई लाभ होंगे:
1. उन्नत उत्पादन तकनीक और प्रशिक्षण के जरिए टूना मछली जैसे उच्च मांग वाले उत्पादों का उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा।
2. फिशरीज टूरिज्म को बढ़ावा मिलने से स्थानीय रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
3. भारत के मछुआरों को फार्म मैनेजमेंट, जैव सुरक्षा, कोल्ड स्टोरेज, और प्रोसेसिंग तकनीकों की ट्रेनिंग मिलेगी।
4. इससे मछुआरों की आय में बढ़ोतरी और प्रोडक्ट की क्वालिटी में सुधार होगा।

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मालदीव को भी होगा लाभ

मालदीव अपने कोल्ड स्टोरेज और हैचरी इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाएगा। बेहतर प्रजातियों की विविधता और उत्पादन क्षमता के विकास पर जोर दिया जाएगा। साथ ही, संवर्धित प्रजातियों के जरिये जलीय कृषि को मजबूती मिलेगी।

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तकनीकी क्षेत्र में सहयोग

इस समझौते के अंतर्गत दोनों देशों के बीच विशेष क्षेत्रों में ज्ञान और तकनीक का आदान-प्रदान भी होगा, जैसे:
1. जलीय पशु स्वास्थ्य और जैव सुरक्षा
2. जलीय कृषि फार्म प्रबंधन
3. रेफ्रीजरेशन, यांत्रिक अभियांत्रिकी और समुद्री अभियांत्रिकी
4. दीर्घकालिक कौशल विकास पर फोकस

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