किसानों को अब आधे दाम पर मिलेगी इफको की नैनो डीएपी : श्री शाह
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने किया नैनो डीएपी लांच
27 अप्रैल 2023, नई दिल्ली: किसानों को अब आधे दाम पर मिलेगी इफको की नैनो डीएपी : श्री शाह – आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि क्षेत्र में नए अध्याय की शुरुआत हुई है। नैनो यूरिया के बाद खेती के लिए अब स्वदेशी नैनो डीएपी भी तरल के रूप में बोतल में उपलब्ध होगी। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने गत दिनों इसका लोकार्पण किया। इस अवसर पर सहकारिता मंत्रालय के सचिव श्री ज्ञानेश कुमार, इफको के चेयरमैन श्री दिलीप संघानी और प्रबंध निदेशक श्री यूएस अवस्थी भी उपस्थित थे।
नैनो डीएपी से कम होगी खेती की लागत
दानेदार डीएपी की तुलना में बोतल बंद डीएपी आधे से भी कम दाम पर मिलेगी। डीएपी की 50 किलो की परंपरागत बोरी की कीमत 1350 रुपये आती है, जबकि नैनो डीएपी की आधा लीटर की बोतल किसानों को छह सौ रुपये में उपलब्ध होगी। इसके प्रयोग से कृषि की लागत और आयात पर निर्भरता घटेगी।
विदेशी मुद्रा की बचत
नैनो डीएपी के प्रयोग से खेतों की सेहत सुधरेगी और पैदावार में भी वृद्धि होगी। साथ ही विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। दिल्ली के इफको भवन में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि नैनो डीएपी फर्टिलाइजर की फील्ड में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा। केंद्र सरकार ने दो मार्च को ही अधिसूचित कर दिया है। इसके प्रयोग से खेत केमिकल मुक्त होगा। आधा लीटर की बोतल में नाइट्रोजन आठ एवं फास्फोरस 16 प्रतिशत है।
इफको को नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के लिए 20 वर्ष तक का पेटेंट मिला है। इसका पहला संयंत्र गुजरात के कलोल में लगा है। इस वर्ष पांच करोड़ बोतल का उत्पादन किया जाएगा। 2025-26 तक 18 करोड़ बोतल उत्पादन के माध्यम से 90 लाख टन डीएपी का बोझ कम होगा। एक वर्ष में ही नैनो यूरिया के तीन संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं।
इफको की उपलब्धि बताते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि देश में कुल 384 लाख टन उर्वरकों का उत्पादन हुआ है, जिसमें 132 लाख टन सहकारी समितियों ने किया। इनमें अकेले इफको ने 90 लाख टन उर्वरकों का उत्पादन किया है।
उन्होंने कहा कि एक वर्ष के भीतर नैनो यूरिया के तीन संयंत्रों को चालू कर दिया गया है। अभी छह करोड़ तीन लाख बोतल की आपूर्ति की जा रही है। इससे यूरिया का आयात कम हुआ है। इफको अपनी कलोल इकाई में प्रति दिन आधा लीटर की दो लाख बोतलों की उत्पादन क्षमता के साथ एक नैनो डीएपी संयंत्र स्थापित कर रहा है।
तरल डीएपी खेती को संरक्षित करेगी
अमित शाह ने कहा कि देश में पारंपरिक डीएपी का ही अत्यधिक इस्तेमाल किया जाता है। पंजाब, हरियाणा, बंगाल एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में प्रति एकड़ छह से आठ बोरे दानेदार डीएपी का इस्तेमाल किया जाता है। तमिलनाडु में धान की फसल में दानेदार डीएपी की टाप ड्रेसिंग की जाती है।
उन्होंने कहा कि कर्नाटक और बिहार के किसान मक्का, गन्ना एवं सब्जियों की खेती में भी धड़ल्ले से दानेदार डीएपी का प्रयोग करते हैं। नैनो डीएपी एवं नैनो यूरिया के प्रयोग से खेतों में केंचुओं की संख्या बढ़ेगी, जिससे भूमि को संरक्षित किया जा सकेगा।
आधा लीटर की बोतल 50 किलो डीएपी के बराबर
सहकारिता मंत्री ने किसानों से नैनो डीएपी के इस्तेमाल का आग्रह करते हुए कहा कि आधा लीटर की नैनो डीएपी की बोतल 50 किलो की परंपरागत डीएपी की बोरी के बराबर काम करेगी। एक एकड़ खेत के लिए आधा लीटर की बोतल काफी है।
उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया को किसानों ने स्वीकार कर लिया है, लेकिन अभी बोरी वाली यूरिया भी प्रयोग में है। इससे फसल और मिट्टी को नुकसान होता है। नैनो यूरिया के साथ दानेदार यूरिया की जरूरत नहीं है। इसका प्रयोग न करें|
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम )