राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बेकार दवाइयों पर बर्बाद नहीं होंगे किसानों के पैसे, घटिया खाद-बीज पर लगेगी पूरी तरह रोक: शिवराज सिंह

01 सितम्बर 2025, नई दिल्ली: बेकार दवाइयों पर बर्बाद नहीं होंगे किसानों के पैसे, घटिया खाद-बीज पर लगेगी पूरी तरह रोक: शिवराज सिंह – केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र विदिशा, मध्यप्रदेश का दौरा किया। उन्होंने गणेश पूजन कर छात्र-छात्राओं से संवाद किया और खेल दिवस के अवसर पर युवाओं के साथ लगभग 2 किलोमीटर साइकिल चलाई। इसके अलावा वे उन्नत कृषि तकनीक संगोष्ठी में भी शामिल हुए और उपस्थितजनों को संबोधित किया।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कुछ देशों ने भारत पर दबाव डाला था कि खेती के लिए पूरा बाजार खोलो, लेकिन आज भारत गर्व से दुनिया के सामने अपना पक्ष रखता है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्र हित और किसानों के हित सर्वोपरि हैं। इस वर्ष खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है और 3.7% कृषि की ग्रोथ के साथ अन्न भंडार भर दिए गए हैं।

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किसानों के हित सर्वोपरि

मंत्री ने बताया कि कुछ ने भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका जताई थी, लेकिन तीन महीने में सबसे अधिक जीडीपी ग्रोथ कृषि क्षेत्र से हुई है। इस साल किसानों ने अभूतपूर्व उत्पादन किया है, जिसमें गेहूं, चावल और मक्के का रिकॉर्ड शामिल है। पहले हम अमेरिका के पीएल-480 गेहूं पर निर्भर थे, अब हमारे अन्न भंडार पूरी तरह से भरे हुए हैं। सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है।

किसानों के पैसे बेकार उत्पादों पर बर्बाद नहीं होंगे

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पहले किसान जब खाद लेने जाते थे तो डीलर जबरदस्ती कीटनाशक या अन्य नकली उत्पाद थमा देते थे। बायोस्टिमुलेन्ट के नाम पर बिना परीक्षण के हजारों दवाइयां बाजार में बिक रही थीं। अब केवल वही दवाइयां बिक्री में आएंगी जो आईसीएआर या कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा परीक्षणित और प्रभावी साबित होंगी। 30 हजार में से 22 हजार दवाइयां परीक्षण के लिए भी नहीं आई थीं, और केवल 682 दवाइयां सही पाईं गईं। नकली दवाइयों से फसल खराब हुई तो कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए जाएंगे और किसानों को मुआवजा मिलेगा। धोखाधड़ी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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प्राकृतिक खेती और लागत घटाने पर जोर

मंत्री ने कहा कि खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए उत्पादन बढ़ाना और लागत घटाना दोनों जरूरी हैं। केवल उत्पादन बढ़ाने से काम नहीं चलेगा। उन्होंने 6 सूत्रीय रणनीति बताई जिसमें उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, उचित दाम देना, नुकसान की भरपाई, कृषि विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना शामिल है। प्राकृतिक खेती के लिए सरकार जागरूकता कार्यक्रम चला रही है ताकि किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकें। किसान फसल विविधीकरण अपनाएं जैसे पुराने समय में “चार घूंट पर चार फसल” की परंपरा थी।

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3 अक्टूबर से फिर शुरू होगा कृषि अभियान

केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देश में करीब 16 हज़ार वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में रिसर्च कर रहे हैं, लेकिन किसान तक उसका लाभ नहीं पहुंच पा रहा था। उन्होंने कहा कि, जब तक लैब को लैंड से नहीं जोड़ा जाएगा और वैज्ञानिकों को किसानों से नहीं मिलवाया जाएगा, तब तक कृषि क्षेत्र में अपेक्षित सुधार संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि, इसी सोच के तहत सरकार ने 2170 टीमें बनाकर वैज्ञानिकों को सीधे किसानों के बीच भेजा है। यह पहल आगे भी जारी रहेगी।

उन्होंने कहा कि आगामी रबी की फसल के लिए भी 3 अक्टूबर, यानी दशहरे के अगले दिन से वैज्ञानिक फिर किसानों के खेतों में पहुंचेंगे और उन्हें नई तकनीकों व उन्नत खेती के उपायों की जानकारी देंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि यह अभियान किसानों को न सिर्फ नई तकनीक से जोड़ेगा बल्कि उन्हें उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने के व्यावहारिक तरीके भी सिखाएगा।

अंत में मंत्री श्री शिवराज सिंह ने आह्वान करते हुए कहा कि अपने रोजमर्रा के इस्तेमाल की हर चीज़, चाहे वह पहनने की हो, खाने-पीने की हो या फिर तेल, साबुन जैसी दैनिक ज़रूरत की वस्तुएं हों, वो केवल देश में बनी वस्तुएं ही खरीदें। उन्होंने कहा कि  विदेशी उत्पाद खरीदने से देश का धन बाहर चला जाता है, जबकि देशी सामान खरीदने से अपने ही लोगों को रोज़गार और व्यापार मिलता है।

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